बिदांपाथर. बड़वा गांव में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिन वृंदावन धाम के कथावाचक महेशाचार्य जी महाराज ने श्रीमद्भागवत महात्म्य के बारे में मधुर वर्णन किया. इस प्रसंग में कथावाचक ने कहा कि श्रीमद्भागवत का श्रवण संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है. यह भगवान का वांग्मय स्वरूप है, जो जन्म जन्मांतर के पुण्य उदय होने पर प्राप्त होता है न कि भागवत की नियति ब्रह्म होना है. यह देव दुर्लभ है, किंतु मनुष्यों को सुलभ होकर ज्ञान गंगा के रूप में प्रवाहित हो रही है. मृत्यु को भी मंगलमय बना कर भावी जन्म सुधार देती है. हर मनुष्य को समाज में हमेशा अच्छे काम करना चाहिए. भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि कर्म ही प्रधान है, बिना कर्म कुछ भी संभव नहीं होता है, जो मनुष्य अच्छा कर्म करता है उसे अच्छा फल मिलता है और बुरे कर्म करने वाले को बुरा फल मिलता है. इसलिए सभी को अच्छा कर्म करना चाहिए. औरों को भी अच्छा कर्म करने के लिए प्रेरित करना चाहिए. कहा एक मार्ग दमन का है तो दूसरा उदारीकरण का, दोनों ही मार्गों में अधोगामी वृतियां निषेध है. भागवत को सुनने-आत्मसात करने से सारे पाप कट जायेंगे. भागवत कथा एक ऐसा अमृत है कि इसका जितना भी पान किया जाए तब भी तृप्ति नहीं होती. कथा के साथ-साथ भजन संगीत भी प्रस्तुत किया गया, जिससे उपस्थित श्रोता भावविभोर होकर कथा स्थल पर भक्ति से झूम उठे. श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने के लिए बड़वा के अलावा मंझलाडीह, बाघमारा, डाढ़, नामुजलांई, चड़कमारा, जलांई, लाकड़ाकुंदा, बाबुडीह, मोहनाबांक, पिपला, पाटनपुर, सिमलडूबी, मोहजुड़ी, सुंदरपुर के श्रोताओं की भीड़ उमड़ पड़ी.
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