अल्लाह के बारगाह में उठे हजारों हाथ, मांगी गयी अमन और खुशहाली की दुआ संवाददाता, जामताड़ा. जिले में ईद-उल-अजहा (बकरीद) का पर्व शनिवार को पूरे उत्साह, पारंपरिक परंपरा और शांतिपूर्ण माहौल में मनाया गया. इस मौके पर हजारों मुस्लिम समाज के लोगों ने विभिन्न ईदगाहों और मस्जिदों में सुबह की नमाज अदा की और अल्लाह की बारगाह में अमन, शांति और समृद्धि की दुआएं मांगी. ईदगाहों में सुबह से ही नमाज के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. शहर के न्यू टाउन ईदगाह, पाकडीह, सरखेलडीह, मियांडीह, बुधुडीह, नाराडीह, बेवा, धनबाद, चिरूनबांध, शहरपुरा, मोहड़ा और पोसोई जैसे विभिन्न स्थानों पर नमाज अकीदत के साथ अदा की गयी. नमाज के बाद लोगों ने एक-दूसरे से गले मिलकर मुबारकबाद दी और भाईचारे का संदेश दिया. पर्व पर दिखा उत्साह और सामाजिक समरसता का रंग शनिवार की सुबह से ही पूरे शहर में रौनक नजर आयी. बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक में खासा उत्साह देखा गया. लोगों ने नये-नये कपड़े पहनकर मस्जिदों और ईदगाहों की ओर रुख किया. बच्चों के चेहरे पर मिठाइयों और खिलौनों की खुशी साफ झलक रही थी. इस अवसर पर सामाजिक समरसता का अनोखा उदाहरण भी देखने को मिला, जब गैर-मुस्लिम समाज के कई लोगों ने अपने मुस्लिम भाइयों को बकरीद की शुभकामनाएं दी. इमाम ने दी कुर्बानी के असल मायने समझाने वाली तकरीर – पाकडीह व सरखेलडीह ईदगाह में नमाज के दौरान मौलाना अख्तर रजा ने कहा कि ईद-उल-अजहा का त्योहार त्याग और बलिदान की भावना का प्रतीक है. उन्होंने बताया कि हजरत इब्राहिम अलैहिस्सलाम ने अपने बेटे हजरत इस्माइल अलेहिस्सलाम को अल्लाह की राह में कुर्बान करने के लिए तैयार होकर जो मिसाल कायम की. वह आज भी इंसानियत के लिए प्रेरणास्रोत है. कुर्बानी करते समय रिया (दिखावा) से बचना चाहिए और यह सिर्फ अल्लाह की रज़ा के लिए होनी चाहिए. बकरीद के मद्देनजर जिला प्रशासन पूरी तरह से सतर्क नजर आया. सभी प्रमुख ईदगाहों पर दंडाधिकारी और पर्याप्त संख्या में पुलिस बलों की तैनाती की गयी थी, ताकि नमाज के समय किसी तरह की कोई अव्यवस्था न हो. सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किए गए थे. जिले में बकरीद का पर्व शांतिपूर्वक सम्पन्न हुआ. स्वास्थ्य मंत्री ने दी ईद-उल-अजहा की शुभकामना जामताड़ा. ईद-उल-अजहा के अवसर पर स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफान अंसारी ने जामताड़ा सहित प्रदेशवासियों को दिल से मुबारकबाद और शुभकामनाएं दी है. मंत्री ने कहा, ईद-उल-अजहा का त्योहार त्याग, समर्पण और इंसानियत की सेवा का प्रतीक है. यह पर्व हमें मिल-जुलकर रहने, सामाजिक सौहार्द बनाए रखने और आपसी प्रेम को बढ़ाने की प्रेरणा देता है. उन्होंने नमाज अदा की और उपस्थित सभी लोगों से गले मिलकर पर्व की बधाई दी. डॉ अंसारी ने देश और प्रदेश में अमन, शांति और भाईचारे की दुआ करते हुए कहा,मुल्क इस वक्त एक नाजुक दौर से गुजर रहा है. ऐसे में हमारी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है कि हम एक-दूसरे के साथ मोहब्बत और इत्तेहाद से पेश आएं. मेरी यही दुआ है कि झारखंड और पूरा देश अमन व शांति का गहवारा बना रहे.
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