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डॉ बासुदेव बेसरा के साहित्यिक-सामाजिक योगदान पर शोध करने का किया आह्वान

महिला कॉलेज के सभागार में साहित्यकार डॉ बासुदेव बेसरा का 74वां जन्मदिन मनाया गया. विभिन्न विश्वविद्यालयों के संताली विभाग के अध्यापकों का कार्यक्रम में जुटान हुआ था.

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जामताड़ा. जनजातीय भाषाविद, कानूनविद एवं संविधान में प्रदत्त आदिवासियों को विशेष अधिकारों के ज्ञाता एवं साहित्यकार डॉ बासुदेव बेसरा का 74वां जन्मदिन महिला महाविद्यालय के सभागार में मनाया गया. यह आयोजन उनके द्वारा स्थापित संताल एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा किया गया. इस अवसर पर सभी अतिथियों को शॉल, डॉ बेसरा रचित बिडरा़व खंड काव्य की पुस्तक व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया. विभिन्न विश्वविद्यालयों के संताली विभाग के अध्यापकों का कार्यक्रम में जुटान हुआ था. सिदो-कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय दुमका में संताली विभाग की डॉ शर्मीला सोरेन ने डॉ बेसरा के साहित्यिक एवं सामाजिक योगदान पर शोध करने के लिए उपस्थित विद्यार्थियों को आह्वान किया. कहा कि हमारे बच्चे ही हमारी ताकत, हमारी संस्कृति, जीवन शैली, सभ्यता, पहचान इत्यादि के बारे में बाहर की दुनिया को बता सकते हैं. इसलिए डॉ बेसरा जैसी प्रतिभा से प्रेरणा लेकर बच्चे आगे बढ़ें. उन्होंने डॉ बेसरा की विभिन्न रचनाओं एवं पुस्तकों को विश्वविद्यालय के संताली पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने की आवश्यकता बतायी और इस संबंध में पाठ्यक्रम चयन समिति के समक्ष बात रखने की प्रतिबद्धता जतायी. इसके लिए जामताड़ा में संताली पुस्तकों के प्रकाशक हांस हांसिल प्रिंटिंग एंड पब्लिकेशन से उनकी सभी पुस्तकों के प्रकाशन का आग्रह किया. बाकुड़ा विश्वविद्यालय में संताली के प्रो डॉ अंजन कर्मकार ने डॉ बेसरा रचित खंड काव्य बिडरा़व पर विषद व्याख्या प्रस्तुत की. बिडरा़व कविता के ऐतिहासिक पक्षों को विभिन्न लेखक एवं आलोचकों द्वारा दिये गये संदर्भ से पुष्ट करते हुए आज के समय में उसकी प्रासंगिकता को बताया. सिदो-कान्हू बिरसा विश्वविद्यालय पुरुलिया में संताली के अध्यापक ठाकुर प्रसाद मुर्मू ने डॉ बेसरा को एक श्रेष्ठ कहानीकार बताते हुए उनकी विभिन्न कहानियों में उनके पात्रों पर चर्चा की. कहा कि वे हमेशा स्वयं को एक आम आदमी मानते रहे. उनकी कहानियों में हमेशा किसान, मजदूर एवं आसपास के सामान्य लोग हुआ करते हैं. कहानी, व्यंग्य, कविता, निबंध एवं साहित्य की विभिन्न विधाओं में उन्हें महारत हासिल थी. इस अवसर पर परगना बासुदेव हांसदा ने भी उनके साथ बिताये अपने स्मरण को साझा किया. उनकी बहुमुखी प्रतिभा के कई उदाहरण प्रकाश में लाये. कार्यक्रम में अचानक पहुंचे राजनेता एवं साहित्यकार सूर्यसिंह बेसरा ने उनके स्मरण में एक कविता पाठ किया. सभा की अध्यक्षता संताल एजुकेशन ट्रस्ट के ट्रस्टी प्रो सुनील कुमार हांसदा ने की. मंच का संचालन राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित अवकाश प्राप्त शिक्षक सुनील कुमार बास्की ने किया. स्वागत भाषण राष्ट्रपति शिक्षक पुरस्कार प्राप्त शिक्षक सुशील कुमार मरांडी ने दिया. धन्यवाद ज्ञापन “दिशोम गोडेत ” संताली मासिक के प्रधान संपादक विलियम हांसदा ने किया. कार्यक्रम में गेडिया चौवालीस मौजा परगना धनोलाल हांसदा एवं साहित्य अकादमी के पूर्व कन्वेनर मदन मोहन सोरेन उपस्थित रहे. इस दौरान शिक्षक देवेंद्र मुर्मू, माध्यमिक शिक्षक संघ के जिला सचिव सुधीर सोरेन, आनंद हांसदा, सिकंदर टुडू, नाजिर सोरेन, कृपाशंकर टुडू, निशापति हांसदा, श्यामलाल मरांडी, लखाय बास्की, आदिवासी बालक छात्रावास के प्रिफेक्ट शिवलाल सोरेन, आदिवासी बालिका छात्रावास की प्रिफेक्ट ममता टुडू तथा दोनों छात्रावास के सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे.

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