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बंद होने के कगार पर हैं कई राइस मिलें

उद्योग धंधों की दृष्टिकोण से पिछड़ा है जामताड़ा जिला बंगाल व गुजरात समेत अन्य प्रदेशों में पलायन कर रहे मजदूर जिला बनने के 15 वर्ष बाद भी उपेक्षित हैं जिलेवासी जामताड़ा : अबुवा झारखंड राज बने सोलह वर्ष हो गये. इन सोलह वर्षों में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा बिजली के क्षेत्र में जिलेवासी पिछड़े हुए […]

उद्योग धंधों की दृष्टिकोण से पिछड़ा है जामताड़ा जिला

बंगाल व गुजरात समेत अन्य प्रदेशों में पलायन कर रहे मजदूर
जिला बनने के 15 वर्ष बाद भी उपेक्षित हैं जिलेवासी
जामताड़ा : अबुवा झारखंड राज बने सोलह वर्ष हो गये. इन सोलह वर्षों में रोजगार, शिक्षा, स्वास्थ्य तथा बिजली के क्षेत्र में जिलेवासी पिछड़े हुए हैं. रोजगार के अभाव में जिले के मजदूरों का पलायन हो रहा है. खास कर मजदूर बंगाल, गुजरात, पंजाब पलायन कर जाते हैं. जामताड़ा में उद्योगों का भी अपेक्षाकृत विकास नहीं हो पाया है. यहां जो भी पहले के लघु एवं कुटीर उद्योग स्थापित है वो आज बंद के कगार पर है. रोजगार के अभाव में मजदूरों का विकास नहीं होने के कारण जामताड़ा जिला का भी विकास थम गया है. जामताड़ा में पांच लघु उद्योग स्थापित है,
जिसमें दो चालू है. मिहिजाम में अंजनी फेयरवेल तथा जामताड़ा में रामेश्वर राइस मिल चालू है. खपत के अनुसार बिजली नहीं मिलने के कारण मिहिजाम के ममता डालडा फैक्ट्री, जामताड़ा में राजहंस रिफैक्ट्रीज तथा रानीसती राइस मिल बंद है. मिहिजाम के अंजनी फेयर वेल भी बंद की स्थिति में है. जामताड़ा का राजहंस रिफैक्ट्रीज भी बंद है.
जामताड़ा में कुटीर उद्योग भी पर्यावरणीय स्वीकृति के अभाव में बंद है.ऐसे में उद्योग के विकास के मामले में जामताड़ा जिला काफी पीछे दिखाई दे रहा है. जामताड़ा जिला बने 15 वर्ष हो गये,लेकिन जिला में एक भी नया उद्योग स्थापित नहीं हो पाया है.इसके कारण भी यहां के मजदूरों को रोजगार नहीं मिल रहा है. इस कारण मजदूरों का पलायन बदस्तूर जारी रहता है.
क्या कहते हैं अधिकारी
जिला उद्योग विस्तार पदाधिकारी ललन दूबे ने कहा कि जामताड़ा में बिजली की समस्या उद्योग-धंधे की दृष्टिकोण से पिछड़ा है. एसपीटी एवं सीएनटी एक्ट के कारण नया उद्योग धंधा नहीं लग पा रहा है. लघु उद्योगों भी पर्यावरणीय स्वीकृति के अभाव में बंद है.

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