मिहिजाम : ग्रामीण इलाकों में सोहराय पर्व का शुभारंभ मंगलवार से हो गया है. नयी फसल के तैयार होने के मौके पर आयोजित होने वाले इस महापर्व को लेकर संताल में काफी उल्लास का वातावरण देखा जा रहा है. आदिवासी गावों में नगाड़े एवं मांदर की थाप के साथ-साथ संताली गीतों से गुंजायमान हो रहा है. संतालों का महान सांस्कृतिक पर्व सोहराय की धूम चारों तरफ दिखाई दे रही है. पर्व को लेकर निमंत्रण देने के लिए सगे संबंधियों एवं मेहमानों का घर आगमन आरंभ हो गया है.
पांच दिन तक चलने वाले इस पर्व का शुरुआत प्रथम दिन उम महा से शुरू होती है. इस दौरान संताल समुदाय के लोग स्नान कर गोड टंडी जाकर पूजा-अर्चना करते हैं. मंगलवार को भागा गांव में मांझी हड़ाम दशरथ मुर्मू के नेतृत्व में नायकी मैनेजर मुर्मू, जोग मांझी अनिल हांसदा, कुटुंब नायकी राम मुर्मू, भोद्दो सुनील हांसदा तथा विश्वनाथ मुर्मू गोड टंडी में देवता की पूजा की. पांच दिवसीय उत्सव को लेकर ग्रामीण महिलाएं अपने घरों एवं आसपास के इलाकों की साफ-सफाई करने में जुटी है.
घरों के बाहरी दीवारों पर आकर्षक चित्रकारी का इस पर्व में विशेष महत्व माना जाता है. पर्व के दूसरे दिन बोगान मोहा होता है. इस दौरान घर के देवता ओंडाक बोंगा व गोत्र देवताओ की पूजा की जाती है. तीसरे दिन खूंटाव महा की पूजा होती है. मांझी हड़ाम के नेतत्वृ में लोग शिकार करने निकलते हैं. बताया जाता है कि पांच दिनों के उत्सव में संताल महिला बच्चे एवं पुरूष प्रकृति की पूजा करते है. ग्रामीणों के द्वारा अपने पशुओ पेड़ पौधों तथा नयी फसल की पूजा की जाती है. इसके अलावा अपने गृहदेवता को भोग चढ़ा कर मंगलकमाना की जाती है. साथ ही अपने परिचितो तथा रिश्तेदारो को पर्व में शामिल होने के लिए आमंत्रित करते हैं.