मनरेगा में मिट्टी वर्क पर पाबंदी लगने से योजनाओं में बिचौलिए हावी निकेश सिन्हा, नारायणपुर. बरसात के कारण मनरेगा में मिट्टी से जुड़े कार्यों को विभाग ने तत्काल स्थापित कर दिया है. साथ ही कई योजनाओं पर विभाग की ओर से पाबंदी लगा दिया गया है, योजनाएं भी सीमित कर दी गयी है. मनरेगा में लगी कई पाबंदियों के बाद बिचौलिए चारों खाने चित्त हो गये, तब वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर गरीबों के आवास में मिलने वाली मनरेगा मजदूरी पर खराब नजर डालना शुरू कर दिया. 25 पंचायतों वाली नारायणपुर प्रखंड में अभी कुल 11022 आवास निर्माण चल रहा है, इनमें 5178 अबुआ आवास, 3811 पीएम आवास, पीएम जनमन 18, जबकि 15 आंबेडकर आवास शामिल है. प्रखंड में कुल 39166 मनरेगा मजदूर सक्रिय हैं, जबकि वर्तमान समय में प्रतिदिन 25 से 30000 मजदूर को ही रोजगार मिल रहा है. इनमें आवास और बागवानी योजना ही मुख्य रूप से शामिल है. मनरेगा की अन्य योजनाओं में पाबंदी लग जाने के कारण बिचौलियों ने आवास योजना में मजदूरी भुगतान के लिए डिमांड और मिस करना शुरू कर दिया. कई मामलों में लाभुकों को यह पता ही नहीं होता कि उनके मजदूरी मद में भुगतान किसके पास जा रहा है. रोजगार सेवक बिचौलियों से सेट, पंचायत सचिव से विशेष भेंट आवास योजना में मजदूरी भुगतान के लिए यह नियम निर्धारित है कि लाभुक या उनके ही परिवार के ही सदस्य को मनरेगा मजदूरी का भुगतान देना है, लेकिन प्रखंड में एसटी या एससी लाभुक उनके मजदूरी का भुगतान अन्य कैटेगरी के मजदूरों में हो रहा है, पर बिचौलियों की पहुंच रोजगार सेवक, पंचायत सचिव और मुखिया तक है. तीनों की सहमति से वह बड़ी चालाकी से लाभुकों के जानकारी के बगैर राशि निकाल रहे हैं. मजदूरी भुगतान के लिए डिमांड और फिर मास्टर रोल निर्गत हो रहा है, जब यह बात लाभुकों तक पहुंचती है तो थोड़ी बहुत राशि देकर मैनेज कर लिया जाता है. पीएम आवास में लाभुकों को 120000 रुपये ही मिलते हैं. मनरेगा मजदूरी में लगभग 18 से 20 हजार रुपये का भुगतान होता है, जिसको बिचौलिये चट कर जा रहे हैं. ऐसे में गरीबों का आवास आखिर कैसे पूर्ण होगा. यह बहुत बड़ा सवाल बना हुआ है. यही कारण है कि आवास योजनाओं की पूर्णता में लेट लतीफ भी हो रही है. विभाग के लाख प्रयास के बाद भी आवास योजना की पूर्णता में देरी हो रहा है. – क्या कहतीं हैं बीपीओ – आवास योजनाओं में लाभुक या उनके ही परिवार के सदस्यों को ही मनरेगा मजदूरी का भुगतान लेना है. इसे लेकर सख्त निर्देश भी दिया गया है. इसमें मुखिया और पंचायत सचिव को विशेष ध्यान देने कि जरूरत है. क्योंकि भुगतान इन्हीं दोनों के डिजिटल हस्ताक्षर से होता है. मामले की जांच की जायेगी. – करुणा कुमारी, बीपीओ, नारायणपुर
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