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Tsaf Mohan rawat everest summit:टीएसएएफ के प्रशिक्षक मोहन रावत ने किया एवरेस्ट फतह

टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) के सीनियर प्रशिक्षक मोहन रावत (52) ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) को फतह कर लिया.

निसार, जमशेदपुर. टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन (टीएसएएफ) के सीनियर प्रशिक्षक मोहन रावत (52) ने दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) को फतह कर लिया. मूल रूप से उत्तरकाशी के रहने वाले मोहन ने सोमवार 19 मई की सुबह 5 बजकर 20 मिनट (नेपाल के समयानुसार) पर दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा और टाटा स्टील का झंडा लहराया. मोहन रावत एवरेस्ट फतह करने के बाद देर शाम बेस कैंप लौट आये. वहीं, 27 मई को वे अपने घर (उत्तरकाशी) जायेंगे. वे 10 अप्रैल को एवरेस्ट फतह करने के लिए नयी दिल्ली से इस साहसिक यात्रा पर निकले थे. हालांकि उनको इस अभियान को पूरा करने के लिए परमिट हासिल करने में थोड़ी कठिनाई हुई. लेकिन टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन के सहयोग से उन्होंने परमिट हासिल किया और तीन मई को एवरेस्ट बेस कैंप (17,500 फीट) पहुंचे. यहां से उन्होंने बेस कैंप 1, 2, 3 तक की चढ़ाई की और अनुकूलन प्रक्रिया को भी पूरा किया. 14 मई को वे बेस कैंप से समिट पूरा करने के लिए रात एक बजे अपने ग्रुप के साथ निकले. 16 मई को कैंप 3 और 17 मई को (साउथ कोल, 26,400 फीट) स्थित कैंप 4 पहुंचे. 18 मई की सुबह उन्होंने माउंट एवरेस्ट की चोटी फतह की और लगभग 15 मिनट वहां बिताया. मोहन रावत के साथ इस अभियान में अनुभवी शेरपा गाइड लाख्पा शेरपा भी साथ थे. सुंदर रामम ने दी बधाई टाटा स्टील के वीपी (सीएस) डीबी सुंदर रामम ने मोहन रावत को बधाई दी है. उन्होंने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि मोहन रावत की माउंट एवरेस्ट पर सफल चढ़ाई टीएसएएफ के लिए गर्व का क्षण है. उत्तरकाशी के डोडीटाल में चलाते थे दुकान : मोहन रावत के एवरेस्ट फतह करने और एक सफल पर्वतारोही बनने के पीछे कड़ा संघर्ष रहा है. सन 2000 के आसपास वह टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन से जुड़े. मूल रूप से उत्तरकाशी के अगोड़ा गांव के रहनेवाले मोहन बेहद साधारण परिवार से संबंध रखते हैं. अपने गांव के पास स्थित डोडीटाल में मैगी का दुकान चलाते थे. वर्ष 2001-02 के आसपास टाटा स्टील की बछेंद्री पाल के नेतृत्व में लीडरशिप कार्यक्रम के तहत पर्वतारोहण के लिए अक्सर जाते थे. इसी दौरान अधिकारी मोहन के दुकान पर रुककर मैगी खाते थे. मोहन ने उस समय अधिकारियों से पर्वतारोहण के बारे में जानकारी ली और बछेंद्री पाल के संपर्क में आये. धीरे-धीरे उन्होंने पर्वतारोहण में बेसिक कोर्स किया और टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन से जुड़ गये. इसके बाद वह बछेंद्री पाल के कई अभियान में हिस्सा लिया. वह राफ्टिंग गाइड के रूप में भी अपना योगदान दिया. मोहन जिस गांव से आते हैं, वहां आज भी कच्ची सड़के हैं. टीएसएएफ के 15 पर्वतारोही ने किया है एवरेस्ट फतह : पर्वतारोहण में जमशेदपुर का नाम हमेशा से शीर्ष पर रहा है. इसका सबसे बड़ा कारण 40 वर्ष पूर्व टाटा स्टील द्वारा स्थापित टाटा स्टील एडवेंचर फाउंडेशन है. भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता बछेंद्री पाल ने टाटा स्टील के सहयोग से ही एवरेस्ट फतह किया था. इसके बाद वह टाटा स्टील एडवेंचर में पर्वतारोहण को बढ़ावा दिया. टाटा स्टील के सहयोग से अभी तक 15 पर्वतारोही एवरेस्ट फतह कर चुके हैं. वर्तमान के समय में एवरेस्ट फतह करने पर लगभग 40 लाख रुपये का खर्च आता है. कब किसने की फतह नाम वर्ष 1.बछेंद्री पाल 23 मई 1984 2. प्रेमलता अग्रवाल 20 मई 2011 3.बिनीता सोरेन 26 मई 2012 4. मेघलाल महतो 26 मई 2012 5. राजेंद्र सिंह पाल 26 मई 2012 6. सुशेन महतो 19 मई 2013 7. अरुणिमा सिन्हा 21 मई 2013 8. हेमंत गुप्ता 27 मई 2017 9. संदीप तोलिया 22 मई 2018 10. पूनम राणा 22 मई 2018 11. स्वर्णलता दलाई 22 मई 2018 12. अस्मिता दोरजी 23 मई 2023 13. काम्या कार्तिकेयन 20 मई 2024 14. एस कार्तिकेयन 20 मई 2024 15. मोहन रावत 18 मई 2025

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