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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मेहमान बनकर दिल्ली गए मयूरभंज के 72 लोग, राष्ट्रपति भवन में रुकेंगे और घूमेंगे

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का मेहमान बनकर मयूरभंज के 72 लोग गुरुवार को टाटानगर रेलवे स्टेशन से भुवनेश्वर-नयी दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस से दिल्ली रवाना हुए. वे राष्ट्रपति भवन में रुकेंगे और वहां घूमेंगे.

जमशेदपुर: देश में कई ऐसे लोग हैं, जो बड़े पदों पर पहुंचने पर अपनी मिट्टी, अपने गांव और अपने परिवार को छोड़ देते हैं या भूल जाते हैं, लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने के बाद भी अपने गांव, परिजनों और गांव के लोगों को भूल नहीं पायी हैं, जो उनके साथ हर समय खड़े रहे या साथ दिया. यही वजह है कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने पिछड़े हुए गांव के 72 लोगों की पूरी टोली को राष्ट्रपति भवन में बुलाया है. गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के पैतृक गांव मयूरभंज जिले के डुंगुरशाही और आसपास के गांवों के लोगों की टोली नयी दिल्ली के लिए रवाना हुई. सभी के लिए टाटानगर रेलवे स्टेशन से भुवनेश्वर-नयी दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस की एक बोगी को बुक किया गया था.

टाटानगर रेलवे स्टेशन से गए दिल्ली
सभी 72 लोगों को गांव से एक एसी बस से टाटानगर रेलवे स्टेशन लाया गया. यहां से उनको नयी दिल्ली रवाना किया गया. सभी नयी दिल्ली में राष्ट्रपति भवन में ही रुकेंगे और दिल्ली का भ्रमण करेंगे. इसमें अधिकांश लोग ऐसे हैं, जो पहली बार ट्रेन से सफर कर रहे हैं और पहली बार एसी का आनंद लिया. ये लोग काफी खुश नजर आये. पहली बार देश की राजधानी जाने का मौका मिलने और राष्ट्रपति भवन में रहने के अनुभव से खुश दिखे.

राष्ट्रपति के गांव के ‘कॉमन’ लोगों को मिला ‘वीआइपी’ ट्रीटमेंट
राष्ट्रपति के गांव के सभी ‘कॉमन’ लोग थे, लेकिन उनका यहां उतरने पर रेलवे के अधिकारियों और सुरक्षा में तैनात पुलिसकर्मियों ने ‘वीआइपी’ होने का अहसास कराया. जिस बस से आये, उसके आगे और पीछे पुलिस की गाड़ी स्कॉट कर रही थी और बस पर लिखा था भारत की राष्ट्रपति के मेहमान. जब ये लोग स्टेशन पर उतरे, तो उनके स्वागत के लिए रेलवे के डीएसपी से लेकर जीआरपी थानेदार और बागबेड़ा थाना प्रभारी खुद खड़े थे. सभी लोगों का सामान उठाने और ले जाने के लिए बकायदा पहले से कर्मचारी तैनात थे. उनको फर्स्ट क्लास के वेटिंग हॉल में ले जाया गया. इस दौरान उनके खाने-पीने का उत्तम प्रबंध किया गया. रेलवे के सारे अधिकारी उनकी आवभगत में लगे रहे. रेलवे स्टेशन पर पुलिस बलों को तैनात किया गया था. इन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसका पूरा ख्याल रखा गया. इसके बाद अधिकारी सभी को लेकर राजधानी एक्सप्रेस में सवार हुए और सबको उनके सीट पर बैठाकर विदा किया.

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परिजन और ग्रामीण फूले नहीं समां रहे थे
राष्ट्रपति के मेहमान बनकर दिल्ली जाने का सपना लोगों का साकार हो रहा था. वे लोग फूले नहीं समां रहे थे. गौरवान्वित भी महसूस कर रहे थे.

हमारे लिए खुशी का क्षण, गर्व महसूस कर रही हूं : सीनीगो
श्याम चंद्रपुर की रहने वाली महिला सीनीगो मरांडी भी इस दल में थी. उन्होंने कहा कि वे पहली बार दिल्ली जा रही हैं. यह काफी खुशी का क्षण है, जिसको शब्दों में व्यक्त नहीं कर पा रहे हैं. हमें गर्व है कि हमारे बीच की महिला राष्ट्रपति हैं.

गौरवान्वित करने वाला पल : मालती
राष्ट्रपति की परिजन मालती मांझी ने कहा कि यह गौरवान्वित करने वाला पल है. इससे बेहतर पल नहीं हो सकता है. राष्ट्रपति की मेहमान बनकर जाने का मौका मिल रहा है. जिस तरह का इंतजाम यहां किया गया है, वह काफी बेहतर है.

मौसी के कारण हम लोगों का सिर गर्व से ऊंचा हो गया : लक्ष्मण
पहाड़पुर के रहने वाले लक्ष्मण मांझी की मौसी द्रौपदी मुर्मू देश की राष्ट्रपति हैं. उन्होंने बताया कि यह गर्व की बात है. वे जिस पद पर पहुंची हैं, उसे लेकर हम लोगों का सिर हमेशा ऊंचा रहता है. हम लोग देवी का ही अवतार मानते हैं.

गांव के साथ ओडिशा की पहचान हैं हमारी दादी : सालखु
बादामपहाड़ निवासी सालखु मुर्मू ने कहा कि द्रौपदी मुर्मू उनकी दादी मां लगती हैं. यह सुखद पल है कि हम लोग राष्ट्रपति भवन जा रहे हैं. इससे खुशी की बात नहीं हो सकती है. हमारे परिवार, हमारे गांव ही नहीं, बल्कि पूरे ओडिशा की पहचान हमारी दादी हैं और हमारे लिए यह गर्व की बात है.

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