Kurmi Andolan: जमशेदपुर-कुड़मी समाज के रेल चक्का जाम के कारण टाटानगर रेलवे स्टेशन पर सुबह से ही अफरा-तफरी का माहौल बना रहा. वंदेभारत समेत कई ट्रेनें घंटों तक रुकी रही, जिससे यात्री परेशान होकर स्टेशन पर ही फंसे रहे. हालात ऐसे थे कि हर घंटे स्टेशन के पूछताछ केंद्र और बनाए गए विशेष काउंटर पर हंगामा होता रहा. यात्रियों की शिकायत थी कि उन्हें सूचना तो दी जा रही है लेकिन वैकल्पिक ट्रेन की जानकारी उपलब्ध नहीं कराई जा रही थी. रेलवे अधिकारी भी बेबस दिखे क्योंकि उनके पास भी कोई ठोस इंतजाम नहीं था. यात्रियों के पास टिकट रद्द कराने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. कई लोग स्टेशन पर ही इस उम्मीद में डटे रहे कि ट्रेन कभी भी चल पड़ेगी और वे अपने गंतव्य तक पहुंच जाएंगे. किसी को इलाज के लिए, किसी को परीक्षा देने, तो किसी को परिजन के निधन पर जाना था, लेकिन सभी स्टेशन पर ही अटके रहे. उमस भरी गर्मी में लोग पानी पीकर गुजारा करते नजर आए. बच्चे हों या बुजुर्ग, हर कोई बेहाल दिखा.
स्टेशन पर टिकट रद्द कराने वालों की भीड़
टाटानगर रेलवे स्टेशन के टिकट काउंटर पर 250 से अधिक यात्रियों ने टिकट रद्द कराया. ऑनलाइन टिकट धारकों की संख्या अधिक होने के कारण ऑफलाइन रद्द टिकट की संख्या कम रही. स्टेशन पर 210 सामान्य टिकट रद्द हुए, जिनके तहत लगभग 10,500 रुपये लौटाए गए. इसके अलावा, 48 रिजर्वेशन टिकट रद्द कराए गए, जिसके तहत लगभग 16,000 रुपये यात्रियों को रिफंड मिले.
45 हजार यात्रियों में से 10 हजार भी नहीं कर सके यात्रा
टाटानगर रेलवे स्टेशन से रोजाना लगभग 44,169 यात्री सफर करते हैं. यहां 57 मेल और एक्सप्रेस तथा 35 पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होता है. लेकिन जाम के कारण शाम पांच बजे तक केवल एक दर्जन ट्रेनें ही दूसरे रूट से गुजरीं. परिणामस्वरूप करीब 10 हजार यात्री यात्रा नहीं कर सके.
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यात्रियों की ये है पीड़ा
मांग सरकार से है तो आंदोलन सरकारी दफ्तरों में होना चाहिए. ट्रेनों को रोकना गलत है. सरकार और रेलवे दोनों की ओर से कोई इंतजाम नहीं है. हम लोग पटरियों पर फंसे हैं और सरकार को फर्क ही नहीं पड़ रहा.
जिया सोरेन, राजखरसावा
बिहार जाना था. उमस भरी गर्मी में घंटों से इंतजार कर रहे हैं. रेलवे केवल टिकट रद्द कराने की बात कर रहा है, कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गयी.
लाल देवी, यात्री, बिहार
जब आंदोलन की घोषणा पहले से थी तो सरकार ने रोकथाम क्यों नहीं की. लाखों यात्री परेशान हैं और सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठी है.
शंकर दास, खड़गपुर
केरल से आए हैं और हावड़ा जाना था. कोई ट्रेन नहीं मिल रही. गर्मी ने और भी मुश्किलें बढ़ा दी हैं. स्टेशन पर रुकने की सुविधा तक नहीं है.
सुशांत दास, यात्री
वंदेभारत से हावड़ा जाना था. चार घंटे से इंतजार कर रहे हैं. ट्रेन आएगी या नहीं, कुछ पता नहीं. रेलवे की व्यवस्था बेहद खराब है.
मिराज खान, यात्री

