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एक दोस्त की सलाह ने हसन इमाम को बनाया अंंतरराष्ट्रीय कोच

जमशेदपुर . आज अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस है. आज बात एक ऐसे दोस्त की जिससे ने एक दोस्त को एक नये खेल की जानकारी दी. लेकिन वह अपने दोस्त की कामयाबी देखने के लिए ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहा.

जमशेदपुर . आज अंतरराष्ट्रीय मित्रता दिवस है. आज बात एक ऐसे दोस्त की जिससे ने एक दोस्त को एक नये खेल की जानकारी दी. लेकिन वह अपने दोस्त की कामयाबी देखने के लिए ज्यादा दिन जिंदा नहीं रहा. झारखंड के खेल जगत में हसन इमाम मलिक सबसे मशहूर नाम है. पूर्व राष्ट्रीय स्तर के हैंडबॉल खिलाड़ी हसन इमाम मलिक खेल के मैदान पर अपने शानदार गोलकीपिंग के लिए जाने जाते हैं, वहीं मैदान से बाहर अपने चुटकीले अंदाज के लिए. एक गोलकीपर के रूप में अपने जीवन का लगभग 25 साल हैंडबॉल को देने वाले हसन इमाम मलिक अभी जेआरडी स्थित टाटा ट्रेनिंग सेंटर में एक कोच के रूप में नये पौध को तैयार कर रहे हैं. लेकिन उनके खिलाड़ी और कोच बनने के पीछे उनके एक मित्र अफजल खान का बहुबड़ा योगदान है. बात 80 के0 दशक की है. अफजल और हसन इमाम के लड़कपन के दिन थे. एक दिन हसन अपने धातकीडीह स्थित घर के दरवाजे पर खड़े थे. उनका मित्र अफजल आया और उनसे कहा कि अभी-भी एक नया खेल हैंडबॉल आया है. चल दोनों आदमी इस खेल को सिखते हैं. यासीन उस्ताद के पास इसकी ट्रेनिंग होती है. हसन को इस खेल की जानकारी देने वाले उनके दोस्त अफजल खान को हाथी ने ओल्ड पुरुलिया रोड में कुचल दिया. जिससे उनकी मौत हो गयी. अफजल तो इस दुनिया से रुखस्त हो गये. लेकिन ने हैंडबॉल को अपना जीवन मान लिया और नीरंतर आगे बढ़ते रहे. हसन आज एक अंतरराष्ट्रीय कोच के रूप में प्रख्यात है. हसन अकसर अपने मित्र याद करते हैं और कहते हैं, दोस्त अगर तुम भी जिंदा होता तो आज कुछ होते.

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