जमशेदपुर: शहर में शिक्षा, कला संस्कृति एवं रवींद्रनाथ टैगोर के आदर्शो को जन-जन तक पहुंचाने में टैगोर सोसाइटी का उल्लेखनीय योगदान रहा है. 19 फरवरी, 1961 को जब पूरे देश में टैगोर शताब्दी समारोह कमेटी की ओर से कवि गुरुरवींद्रनाथ ठाकुर की जन्मशती मनायी जा रही थी, उस दौरान रवींद्रनाथ ठाकुर के भतीजे सोमेंद्रनाथ ठाकुर जमशेदपुर आये. कार्यक्रम में सोमेंद्रनाथ ठाकुर ने कवि गुरु की बातों को जन-जन तक पहुंचाने के लिए एक संस्था की स्थापना की जरूरत बतायी, जो टैगोर के आदर्श एवं विचारों को लोगों तक पहुंचाने का काम करे.
बाद में स्थानीय बंगाली समुदाय के गणमान्य चिकित्सक व संस्कृति कर्मी डॉ बी. प्रसाद मुखोपाध्याय, निर्मल चटर्जी, वैद्यनाथ सरकार आदि ने जमशेदपुर में टैगोर सोसाइटी की स्थापना का निर्णय लिया. टाटा स्टील की ओर से जुबिली पार्क के समीप इसके लिए जमीन दी गयी, जिसका शिलान्यास तत्कालीन उपराष्ट्रपति डॉ एस राधाकृष्णन ने किया. टाटा स्टील के मैनेजिंग डायरेक्टर जहांगीर घांदी ने टैगोर सोसाइटी की नींव रखी. शहर के कई नृत्यकला केंद्रों, संगीत प्रतिष्ठान, रवींद्र परिषद, नृत्य निकेतन, रवींद्र संसद, संस्कृति केंद्र झंकार आदि संस्थाओं ने सम्मिलित रूप से ‘ टैगोर सोसाइटी’ को नया रूप दिया.
निर्मल चटर्जी सोसाइटी के संस्थापक सचिव बने. कुछ दिनों बाद टाटा स्टील के एकाउंट डिवीजन के हेड एके बोस को सचिव एवं बी मुखर्जी को अध्यक्ष मनोनीत किया गया. सोसाइटी के सदस्यों द्वारा रवींद्रनाथ ठाकुर के आदर्श एवं विचार को लोगों तक पहुंचाने का काम शुरूहुआ. पहले चरण में कला-संस्कृति का विस्तार करने एवं बच्चों व युवाओं को कला से जोड़ने के लिए रवींद्र कला मंदिर का गठन किया गया. नृत्य की हर शैली, भरतनाटय़म, ओड़िशी, कत्थक आदि का प्रशिक्षण शुरूहुआ. शाीय संगीत से लेकर रवींद्र संगीत, आधुनिक संगीत आदि सिखाने के लिए कोलकाता, शांतिनिकेतन, पटना आदि से शिक्षक बुलाकर नियुक्त किये गये. वर्तमान में टैगोर सोसाइटी की छह शाखाओं में 2400 बच्चे कला के क्षेत्र में पारंगत हो रहे हैं.