जमशेदपुर: सर्किट हाउस एरिया स्थित सेंटर फॉर इनर रिसोर्स डेवलपमेंट में प्रवचन करते हुए स्वामी भूमानंद तीर्थ ने कहा कि संस्कृति व सांस्कृतिक विरासत की रक्षा से ही हमारी वास्तविक उन्नति संभव है.
इस विरासत को भूलने के कारण ही जीवन में अशांति व तनाव है. हमारी संस्कृति में धर्म का महत्वपूर्ण स्थान है. धर्म एक प्रकार से कुछ अनुशासनों का पालन है. इससे व्यक्तित्व सुंदर व समृद्ध हो जाता है. स्वामी भूमानंद जी ने बताया कि किसी समाज की बौद्धिक उपलब्धियों की कला व अन्य अभिव्यक्तियों को संस्कृति कहते हैं, जिसका सामूहिक रूप से आदर व पालन किया जाता है.
स्वामी जी ने मन, बुद्धि के संबंध में भी चर्चा की. सांध्यकालीन सत्र में मां गुरुप्रिया ने भक्ति की शक्ति व महिमा पर भी प्रकाश डाला. इस आयोजन में टाटा पिग्मेंट के एमडी पी सरोदे, आरएस तिवारी, डॉ एनके दास, डॉ आलोक सेनगुप्ता समेत अन्य सदस्यों की सक्रिय भूमिका है.