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आश्रित को नौकरी व पेंशन की गारंटी

जमशेदपुर: टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए फैमिली सपोर्ट स्कीम (एफएसएस) का ऐतिहासिक समझौता किया गया है. टाटा स्टील मैनेजमेंट और टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों के बीच हुए समझौते के तहत मृत कर्मचारी की विधवा और उनके परिवार को रोजगार से लेकर पेंशन तक की गारंटी दी गयी है. करीब 13 साल के बाद […]

जमशेदपुर: टाटा स्टील के कर्मचारियों के लिए फैमिली सपोर्ट स्कीम (एफएसएस) का ऐतिहासिक समझौता किया गया है. टाटा स्टील मैनेजमेंट और टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारियों के बीच हुए समझौते के तहत मृत कर्मचारी की विधवा और उनके परिवार को रोजगार से लेकर पेंशन तक की गारंटी दी गयी है.

करीब 13 साल के बाद फैमिली सपोर्ट स्कीम में बदलाव किया गया है और इसको और व्यावहारिक बनाया गया है. एक नवंबर 2013 से इसे लागू किया गया है. नया समझौता इंजुरी ऑन वर्क्‍स (आइओडब्ल्यू) व इंजुरी ऑन डय़ूटी (आइओडी) में लागू किया गया है.

इन्होंने हस्ताक्षर किये
टाटा स्टील के वीपी एचआरएम एसडी त्रिपाठी, चीफ बीबी दास, पीएन प्रसाद, जुबीन पालिया. टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष पीएन सिंह, महामंत्री बीके डिंडा और डिप्टी प्रेसिडेंट संजीव चौधरी टुन्नू

समझौते की मुख्य बातें
कर्मचारी की मौत के बाद लगातार छह माह तक कर्मचारी को मिलने वाले वेतन का भुगतान पत्नी या नोमिनी को किया जाता रहेगा. इस दौरान होनेवाली वेतन वृद्धि का लाभ भी मिलेगा.

अगर पत्नी जीवित है और नोमिनी में कोई और नाम है और दोनों ही नौकरी नहीं लेते हैं, तो मृत कर्मचारी के अंतिम बेसिक व डीए का 75 फीसदी नोमिनी को और 25 फीसदी उसकी पत्नी को मिलेगा. इसमें हर साल 15 फीसदी की वृद्धि की जायेगी. पत्नी और नोमिनी को 60 साल तक भुगतान किया जायेगा.

ऐसी सुविधा देने वाली पहली कंपनी
समझौता के जरिये कर्मचारी के परिवार, पत्नी को रोजगार, रहने समेत तमाम सुविधा देने की व्यवस्था की गयी है. इस तरह की सुविधा देनेवाली टाटा स्टील देश की पहली कंपनी है. मैनेजमेंट ने कर्मचारियों के हित में एक अहम कदम उठाया है.

पीएन सिंह, अध्यक्ष, टाटा वर्कर्स यूनियन

अब नोमिनी को नौकरी देने की उम्र सीमा 18 साल से बढ़ा कर 25 साल तक कर दी गयी है. इस बीच नोमिनी अपनी पढ़ाई पूरी करेगा. पढ़ाई पूरी कर लेने पर योग्यता के अनुसार नौकरी दी जायेगी.

अब तक नोमिनी को ग्रेड आर-1 में ही नौकरी मिलती थी. अब उसकी योग्यता के अनुसार नौकरी दी जायेगी, इसमें ग्रेड भी बढ़ेगा.

यदि नोमिनी को कम सैलेरी की नौकरी मिलती है, तो मृतक कर्मी के वेतन में आनेवाले अंतर की राशि का भुगतान कर्मचारी की पत्नी को किया जाता रहेगा.

नोमिनी का वेतन और मृत कर्मचारी का वेतन सामान हो जाता है, तो भी विधवा को पांच हजार रुपये मासिक तौर पर पेंशन के रूप में मिलते रहेंगे और इसमें भी सालाना 15 फीसदी बढ़ोतरी होती रहेगी.

कर्मचारियों के परिवारवालों को पांच साल तक क्वार्टर रखने की इजाजत होगी, जो पहले तीन साल तक के लिए ही होता था. हाउस रेंट व बिजली की दर कर्मचारियों के अनुसार ही देनी होगी.

अगर मृत कर्मचारी कंपनी के क्वार्टर में नहीं रहता है, तो तीन हजार रुपये कर्मचारियों को एचआरए मिलता रहेगा.

जो क्वार्टर कर्मचारी का था, वही उसके नोमिनी को भी नौकरी के दौरान मिलेगा.

मृत कर्मचारी की पत्नी और बच्चों की मेडिकल सुविधा बरकरार रहेगी, जो पहले मिलती थी.

मृत कर्मचारी के बच्चों या नोमिनी को ग्रेजुएशन तक की पढ़ाई के लिए टय़ूशन फीस, महंगे पुस्तकों की कीमत और हॉस्टल फीस कंपनी उपलब्ध करायेगी.

मृतक कर्मचारी का परिवार दूसरे शहर में शिफ्ट करता है, तो उसको 749 किलोमीटर तक की दूरी के लिए 15000 रुपये और 750 से 1500 किलोमीटर तक के लिए 20 हजार रुपये और 1500 किलोमीटर से ज्यादा के लिए 25 हजार रुपये मिलेंगे.

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