उन्होंने कहा कि आज राज्य के आदिवासी-मूलवासी प्रतिनिधि बेवस व लाचार होकर राजनीति कर रहे हैं. मंच सरकार की तानाशाही व आदिवासी-मूलवासी की लाचार राजनीति को उखाड़ फेंकने के लिए जनसभा के माध्यम से उलगुलान का बिगुल फूंका जा रहा है. वक्ताओं ने कहा कि सरकार ने वर्ष 1985 को स्थानीयता का कटऑफ डेट मानकर सरकार ने राज्य के 70 प्रतिशत आदिवासी व मूलवासी के अधिकार को छिन लिया है.
उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा पारित स्थानीय नीति को मंच खारिज करता है, क्योंकि सरकार ही असंवैधानिक है, क्योंकि मंत्रिपरिषद में अभी भी एक पद सरकार ने एक साल से अधिक समय से खाली रखा है एवं सरकार लगातार असंवैधानिक निर्णय ले रही है. जनसभा में लालटू महतो, सचिन महतो, जवाहर माहली, दुर्गाचरण हेम्ब्रम, नारायण महतो, इंद्र हेम्ब्रम, सागेन बेसरा, भीमसेन मुर्मू, राजेश मुर्मू, लक्ष्मण महतो, रवींद्र मंडल, डब्बा सोरेन, गुरुचरण मुखी, हरमोहन महतो, खिरोद सरदार आदि उपस्थित थे.