इस के दौरान साफ तौर पर कहा गया कि सर्विसेज पूल के कर्मचारियों के लिए कंपनी में काम नहीं है. अगर वे इएसएस लेते हैं तो ठीक, वरना उनका आइबी की तरह डीए भी बंद कर दिया जायेगा. इसे लेकर कंपनी किसी भी हद तक जा सकती है. कमेटी मेंबरों को यह साफ किया गया है कि एक से दो दिनों में सर्विस पूल के कर्मचारियों के लिए इएसएस निकल जायेगा. इसके तहत जो कर्मचारी 29 फरवरी तक इसके लिए आवेदन दे देते हैं, तो उन्हें बेसिक का 1.2 फीसदी मिलता रहेगा. वहीं एक मार्च के बाद आवेदन देने पर बेसिक का 1 फीसदी के हिसाब से मिलेगा.
इसके बाद लेने वाले को काफी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है. इसे लेकर मैनेजमेंट की ओर से दो टूक जवाब दे दिया गया है. इसके बाद कमेटी मेंबर भी दबाव में आ गये हैं. कमेटी मेंबरों को कहा गया है कि वे इस मामले को लेकर कर्मचारियों के बीच जाये और परिस्थितियों के बारे में जानकारी दें. ताकि बिना विवाद के सभी लोग इएसएस ले लें. इस मुद्दे पर टाटा वर्कर्स यूनियन के आला नेतृत्व का मौन सहमति है. हालांकि, इसे लेकर मैनेजमेंट या यूनियन कुछ कहने की स्थिति में नहीं है.