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भगवान व भक्त में समर्पण भाव निहित (फोटो : मनमोहन.)

भगवान व भक्त में समर्पण भाव निहित (फोटो : मनमोहन.)फ्लैग::: अग्रसेन भवन में तीन दिवसीय व्याख्यान का दूसरा दिनलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरजहां भक्त ने लीला की वहां भगवान प्रकट हुए और जहां भगवान ने लीला की वहां भक्त का मिलन हुआ. इस संसार में जहां सार केवल स्वार्थ में निहित है, वहीं मनुष्य केवल अपनी […]

भगवान व भक्त में समर्पण भाव निहित (फोटो : मनमोहन.)फ्लैग::: अग्रसेन भवन में तीन दिवसीय व्याख्यान का दूसरा दिनलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुरजहां भक्त ने लीला की वहां भगवान प्रकट हुए और जहां भगवान ने लीला की वहां भक्त का मिलन हुआ. इस संसार में जहां सार केवल स्वार्थ में निहित है, वहीं मनुष्य केवल अपनी कर्तव्य परायणता के लिए जीता है. संसार में सभी का संबंध किसी न किसी स्वार्थ के कारण ही है. केवल भक्त और भगवान दो ही ऐसे शब्द हैं, जहां केवल समर्पण की ही भावना होती है. उक्त बातें कथा मर्मज्ञ आचार्य राजेंद्र जी महाराज ने कहीं. वह साकची स्थित अग्रसेन भवन में आयोजित भक्त और भगवान विषयक व्याख्यान के दूसरे दिन इस विषय पर बोल रहे थे. यह आयोजन श्री श्याम सखी परिवार, श्री श्याम जागरण परिवार व श्री भागवत जनमानस समिति के संयुक्त तत्वावधान में किया गया है. उन्होंने कहा कि मनुष्य के जीवन में जिंदगी और शिक्षक दोनों ही परीक्षा लेते हैं. जिंदगी पहले परीक्षा लेती है, फिर ज्ञान देती है, जबकि शिक्षक ज्ञान देकर परीक्षा लेते है. कलियुग महिमा को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि आज विश्वास और निष्ठा अपूर्ण होने की सबसे बड़ी वजह संपन्नता है. जब सम्पन्नता बढ़ती है, तो मनुष्य प्रभु स्मरण व संकीर्तन दोनों से दूर होता जाता है. इस कारण विपन्नता आती है. फिर मनुष्य शरणागति मांगता है. सृष्टि में केवल भक्त ही ऐसा है जिसके लिए भगवान अपने नियम, विधान और संविधान बदलते हैं. कष्ट सहने से जीवन निखरता है और जीव के विस्तार में जब तृष्णा का विस्तार होता है, तब यह प्रखरता मनुष्य को सात्विकता से जोड़े रखती है. इस दौरान मुरलीधर केडिया, रतन मोदी, भंवर लाल खंडेलवाल, रामावतार अग्रवाल, संजय झाझरिया, श्याम सुंदर संघी, बजरंग लाल अग्रवाल, प्रमोद अग्रवाल, अशोक गुप्ता, विमल गुप्ता, ओमप्रकाश गुप्ता, मीरा अग्रवाल, रज्जो झाझरिया, सुनीता रिंगसिया, ललित चौधरी, ममता अग्रवाल व बबीता अग्रवाल आदि मौजूद थे.

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