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टाटा मोटर्स अडिग, सरकार उदासीन

जमशेदपुर: टाटा मोटर्स प्रबंधन इस बात पर अडिग है कि कंपनी के मल्टी एक्सल प्लांट को पंतनगर (उत्तराखंड) शिफ्ट कर दिया जाये. यह एक लंबी प्रक्रिया है, इस दिशा में कंपनी आगे बढ़ रही है. कंपनी के प्रवक्ता कैप्टन पीजे सिंह ने सोमवार को ही विज्ञप्ति जारी कर साफ किया था कि इस तरह के […]

जमशेदपुर: टाटा मोटर्स प्रबंधन इस बात पर अडिग है कि कंपनी के मल्टी एक्सल प्लांट को पंतनगर (उत्तराखंड) शिफ्ट कर दिया जाये. यह एक लंबी प्रक्रिया है, इस दिशा में कंपनी आगे बढ़ रही है. कंपनी के प्रवक्ता कैप्टन पीजे सिंह ने सोमवार को ही विज्ञप्ति जारी कर साफ किया था कि इस तरह के डायनेमिक फैसले लिये जाते रहे हैं. लेकिन इस बार करीब 40 फीसदी काम पंतनगर शिफ्ट करने की तैयारी चल रही है. हालांकि, कितना काम शिफ्ट होगा, इसको लेकर स्पष्ट बयान कंपनी की ओर से नहीं दिया गया है, लेकिन कंपनी ने साफ किया है कि टाटा मोटर्स के लिए जमशेदपुर प्लांट काफी महत्वपूर्ण है. इसका स्थान अलग है.

गाड़ी महंगी होने के कारण

अन्य राज्यों में चार फीसदी इंट्री टैक्स राज्य सरकार ले रही है, यहां 14 फीसदी है

जमशेदपुर में 12 घंटे तक नो इंट्री होता है, जिस कारण उनकी गाड़ियां बनने के बाद ओवर स्टे कर जाती है, जिस कारण ट्रांसपोर्टेशन में दिक्कत होती है और ट्रांसपोर्टर अतिरिक्त पैसे लेते हैं

वैकल्पिक सड़क के लिए घोड़ाबांधा होते हुए एक पुल का निर्माण किया गया है, लेकिन वहां का अप्रोच रोड तक नहीं बनाया गया है

गाड़ी को ले जाने व लेने के लिए और पार्किग के लिए सरकार की ओर से किसी तरह का लैंड क्लियरेंस उपलब्ध नहीं कराया गया है.

अब तक सरकार की ओर से कोई पहल नहीं
राज्य सरकार को कई बार जानकारी देने के बावजूद कोई पहल अब तक नहीं की गयी है. राज्य के उद्योग मंत्री चंपई सोरेन से मिलकर सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स की ओर से ज्ञापन दिया गया था और प्लांट शिफ्टिंग को रोकने की अपील की थी, लेकिन 48 घंटे के बाद भी अब तक कोई पहल सरकार या उद्योग मंत्री की ओर से नहीं की गयी है. यह उद्योगों को लेकर सरकार की गंभीरता को दर्शाता है.

उद्योगों को बचाने के लिए किसी तरह की कोई पहलनहीं की गयी
टाटा मोटर्स हो या उससे जुड़ी कंपनियां या फिर शहर के अन्य उद्योग, उसे आगे बढ़ाने के लिए राज्य सरकार की ओर से किसी तरह की कोई पहल नहीं की गयी. उद्योगों को किसी तरह का कोई इंसेंटिव तक नहीं दिया गया, उलटे गलत टैक्स पद्धति से कंपनियों को काफी ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा.

टाटा मोटर्स की गाड़ियों को तैयार करने में लगते हैं ज्यादा पैसे
टाटा मोटर्स प्रतिस्पर्धा बाजार में है. कोई भी कंपनी घाटे का सौदा नहीं करेगी. अशोक लिलैंड हो या फिर भारत बेंज या अन्य कंपनियां, हर राज्य सरकार उनको पूरी इंसेंटिव दे रही है. इसका नतीजा है कि कंपनी लो कॉस्ट प्रोडयूशर बनकर ज्यादा मुनाफा कमाने की होड़ में लगी हुई है. ऐसे में टाटा मोटर्स जमशेदपुर में जो उत्पादन कर रही है, उससे सीधे तौर पर प्रत्येक गाड़ी पर करीब दो लाख रुपये से अधिक का खर्च ज्यादा हो रहा है.

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