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हेल्थ बुलेटिन:::::काला मोतिया:::संपादित

हेल्थ बुलेटिन:::::काला मोतिया:::संपादित फोटो डॉ बीपी सिंह, आई स्पेशलिस्ट काला मोतिया का शुरुआती दिनों में ही करायें इलाज काला मोतिया होने के सही-सही कारणों का अबतक पता नहीं चल पाया है. सामान्यत: यह दो प्रकार का होता है. पहला एक्यूट एंगल क्लोसर ग्लोकोमा, जो युवावस्था में होता है. पुरुषों की तुलना में यह बीमारी ज्यादातर […]

हेल्थ बुलेटिन:::::काला मोतिया:::संपादित फोटो डॉ बीपी सिंह, आई स्पेशलिस्ट काला मोतिया का शुरुआती दिनों में ही करायें इलाज काला मोतिया होने के सही-सही कारणों का अबतक पता नहीं चल पाया है. सामान्यत: यह दो प्रकार का होता है. पहला एक्यूट एंगल क्लोसर ग्लोकोमा, जो युवावस्था में होता है. पुरुषों की तुलना में यह बीमारी ज्यादातर महिलाओं को होती है. वहीं, दूसरे प्रकार को क्रॉनिक सिंपल ग्लोकोमा कहा जाता है. यह ओल्ड एज के लोगों को होता है. बीमारी होने से मरीज को शुरुआती दिनों में कुछ खास एहसास नहीं होता है, बाद में चलकर सिर दर्द, रोशनी में जाने के साथ ही आंखों के आगे धुंधलापन और नीला व पीले रंग जैसा दिखायी देना. अंत में आंख की नस सूख जाने के कारण आंखों की रोशनी चली जाती है. बीमारी से बचाव के लिए जरूरी है कि शुरुआती दिनों में ही इसका इलाज करवाया जाये. शुरुआती दिनों में बीमारी का पता चल जाये, तो उसका ट्रीटमेंट दवाइयों द्वारा किया जाता है. यदि प्रेशर फिर भी कंट्रोल नहीं होता है, तो ऑपरेशन कर इलाज किया जाता है. बीमारी : काला मोतियालक्षण : शुरुआती दिनों में कुछ खास एहसास नहीं होता है, बाद में चलकर सिर दर्द, रोशनी में जाने के साथ ही आंखों के आगे धुंधलापन और नीला व पीले रंग जैसा दिखायी देना. बचाव : शुरुआती दिनों में ही ले डॉक्टरी सलाह.

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