उन्होंने कहा कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआइ) की अोर से धान खरीद के काम में लगाये गये प्राइवेट पार्टनर के लोग कुछ मीलरों के साथ मिल कर यह काम कर रहे हैं. इस खरीद से न तो किसानों को लाभ होगा और न ही मिलरों या सरकार को ही लाभ मिलेगा. श्री सिंह ने कहा कि एसोसिएशन के स्तर से संबंधित मिल मालिकों को फरजी खरीद से मना किया गया, पर वे नहीं मान रहे हैं.
उन्होंने कहा कि चाकुलिया इलाके में कई पारंपरिक मिले हैं, जिनका चावल सिर्फ घरेलू उपयोग के लायक होता है. दूसरी अोर एडवांस मिलों का चावल देश के बाहर भी जाता है. पारंपरिक मिलों के मालिक धान खरीद की बात से उत्साहित हो गये हैं, क्योंकि नॉर्मल कोर्स में उन्हें ज्यादा काम नहीं मिलता. श्री सिंह ने कहा है कि इस खरीद से एसोसिएशन की भी बदनामी होगी, पर संबंधित मिल मालिक मान नहीं रहे हैं. किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान खरीद में अनियमितता की शिकायत हर वर्षं होती है. प्रभात खबर ने 28 दिसंबर को धान खरीद में गड़बड़ी से संबंधित एक खबर-जमीन एक डिसमिल भी नहीं, धान खरीद लिया 13 लाख का, प्रकाशित की है.