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पूर्व विधायक अयूब खान नहीं रहें

पूर्व विधायक अयूब खान नहीं रहें – 1977 में जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा से जनता पार्टी के विधायक बने थे- आज जनाजे की नमाज के बाद धातकीडीह कब्रिस्तान में होंगे सुपुर्द-ए-खाक वरीय संवाददाता, जमशेदपुरगांधीवादी विचारक और जय प्रकाश नारायण के सहयोगी रहे पूर्व विधायक अयूब खान का गुरुवार तड़के (3:40 बजे) टीएमएच में निधन हो गया. […]

पूर्व विधायक अयूब खान नहीं रहें – 1977 में जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा से जनता पार्टी के विधायक बने थे- आज जनाजे की नमाज के बाद धातकीडीह कब्रिस्तान में होंगे सुपुर्द-ए-खाक वरीय संवाददाता, जमशेदपुरगांधीवादी विचारक और जय प्रकाश नारायण के सहयोगी रहे पूर्व विधायक अयूब खान का गुरुवार तड़के (3:40 बजे) टीएमएच में निधन हो गया. वे 79 वर्ष के थे. शुक्रवार को धातकीडीह मसजिद में जुमा के नमाज के बाद जनाजे की नमाज अदा की जायेगी. इसके बाद धातकीडीह कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया जायेगा. उनके निधन के खबर मिलते ही दर्जनों लोग बिष्टुपुर एन रोड स्थित उनके अावास पर पहुंचे और परिजनों को सांत्वना दी. श्री खान अपने पीछे दो पुत्र मोहम्मद इशा, मो उस्मान, पुत्री खैरुन निशा का भरापूरा परिवार छोड़ गये हैं. पूर्व विधायक का अंतिम दर्शन के लिए उनका पार्थिव शरीर शुक्रवार की सुबह दस बजे बिष्टुपुर एन रोड स्थित गांधी शांति प्रतिष्ठान सह आवास में रखा जायेगा.10 दिसंबर को हुआ था हार्ट अटैक अयूब खान को 10 दिसंबर को हार्ट अटैक हुआ था. उन्हें टीएमएच में भरती कराया गया. डॉक्टर की सलाह से उन्हें एंजीओप्लास्टिक स्टेंट लगाया गया. 16 दिसंबर को अस्पताल से छुट्टी मिली थी. तीन दिन ठीक-ठाक थे. 20 दिसंबर की दोपहर बेचैनी की शिकायत पर टीएमएच में भरती किया गया था. महात्मा गांधी से थे प्रभावितजमशेदपुर में 20 वर्षों से ज्यादा समय से गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष रहे. बिहार के समस्तीपुर जिले के मूल निवासी थे. अयूब खान बचपन से कुशाग्र अौर सामाजिक न्याय की समझ रखने वाले थे. सीएचइ प्राथमिक स्कूल समस्तीपुर में उनकी आरंभिक पढ़ाई-लिखाई हुई. कॉलेज की पढ़ाई समस्तीपुर में ही हुई.18 माह जेल में रहे, जनता पार्टी से विधायक बनेआपातकाल में मीसा के तहत अयूब खान 18 माह जेल में रहे. वर्ष 1977 में जनता पार्टी के टिकट से जमशेदपुर पश्चिम विधानसभा के विधायक बनें. श्री खान को 1991 में लालू प्रसाद यादव के नेतृत्व वाली बिहार सरकार में बिहार प्रदेश के 20 सूत्री कार्यान्वयन समिति का उपाध्यक्ष मनोनीत किया गया था. बाद में उन्होंने यह पद छोड़ कर चद्रशेखर की पार्टी में चले गये थे.राजनीतिक कैरियर- 1977 जनता पार्टी के टिकट पर विधायक चुने गये- जयप्रकाश नारायण के आंदोलन में अग्रिम पंक्ति के सिपाही रहे- भूदान आंदोलन में विनोवा भावे के साथ रहे- चंद्रशेखर के साथ कन्याकुमारी से दिल्ली भारत पैदल यात्रा में साथ रहे – समाजवादी जनता पार्टी (चंद्रशेखर) में अबतक राष्ट्रीय महासचिव थे- झारखंड विधानसभा से सर्वश्रेष्ठ विधायक का पुरस्कार मिला था- जमशेदपुर में गांधी शांति प्रतिष्ठान के अध्यक्ष पद पर थे ——————–डॉ बलमुचु ने शोक जतायाराज्यसभा सांसद डॉ प्रदीप कुमार बलमुचु ने पूर्व विधायक अयूब खान के निधन पर गहरा शोक जताया है. उनके आत्मा की शांति के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.सामाजिक न्याय के पक्षधर थे अयूब बाबू : चंद्रमोहनअयूब खान के साथ रहे चंद्रमोहन प्रसाद बताते हैं कि अयूब बाबू हमेशा सामाजिक न्याय के पक्षधर थे. वर्ष 1964 में शहर में सौहार्द के लिए बड़ी भूमिका निभायी थी. धैर्य से सबकी बात सुनते थे : सत्येंद्र कुमारपूर्व विधायक के साथ रहे सत्येंद्र कुमार कहते हैं कि अयूब जी को क्रोध नहीं आता था. धैर्य से सबकी बात सुनते थे.समाज व देश पर हमेशा चर्चा होती थी : प्रोफेसर बीके मिश्राअयूब खान के साथ रहे प्रोफेसर बीके मिश्रा ने कहते हैं कि अयूब जी सामाजिक, राजनीतिक, विकास के साथ समाज व राष्ट्र को आगे ले जाने पर हमेशा चर्चा करते थे.वेंटिलेशन पर जाने के कारण अंतिम समय बात नहीं हो सकी : मोहम्मद ईशा पूर्व विधायक के बड़े पुत्र मोहम्मद ईशा ने बताया कि पापा अंतिम समय तक खुश थे. हार्ट अटैक के बाद टीएमएच से घर लौटने पर भी खुश थे. दोबारा तबीयत खराब होने पर उन्हें कैथ लैब में वेंटिलेशन पर रखा गया था. इस कारण अंतिम तीन दिन बेसुध थे. उनसे अंतिम क्षण में बात नहीं होने का मलाल रहा. मोहम्मद ईशा टाटा स्टील में पदाधिकारी थे. छोटे पुत्र टिस्को स्कूल में शिक्षक थे.

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