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क्लास में जो भी पढ़ें, घर में रीविजन जरूर करें

क्लास में जो भी पढ़ें, घर में रीविजन जरूर करें प्रीति कुमारी मार्क्स : 84.4 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : सेंट मेरीज इंगलिश हाइस्कूल, बिष्टुपुर बोर्ड : सीबीएसइ (12वीं)माता-पिता : सुनीता देवी-वाइएन प्रसादलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने बोर्ड परीक्षा में बढ़िया स्कोर करने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए […]

क्लास में जो भी पढ़ें, घर में रीविजन जरूर करें प्रीति कुमारी मार्क्स : 84.4 प्रतिशत रैंक : स्कूल थर्ड टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : सेंट मेरीज इंगलिश हाइस्कूल, बिष्टुपुर बोर्ड : सीबीएसइ (12वीं)माता-पिता : सुनीता देवी-वाइएन प्रसादलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मैंने बोर्ड परीक्षा में बढ़िया स्कोर करने का लक्ष्य रखा था. इसके लिए मैं शुरू से गंभीर थी. मैं स्कूल की पढ़ायी के साथ-साथ चल रही थी. क्लास में जहां तक पढ़ायी हो जाती थी, मैं घर पर उसका रीविजन कर लेती थी. इस तरह मैं रोज थोड़ा-थोड़ा पढ़ती थी और अपटूडेट रहने की कोशिश करती थी. हर दिन करती थी एक टॉपिक कंपलीटमैं पढ़ाई के प्रति शुरू से गंभीर तो थी ही, प्री बोर्ड के बाद और ज्यादा सीरियस हो गयी थी. प्री के बाद क्लास बंद हो गये थे. इसलिए, मैं घर पर रूटीन बनाकर पढ़ती थी. मैंने हर दिन हर विषय के एक टॉपिक को पूरा करने का लक्ष्य रखा था. सिलेबस पूरा हो चुका था. इस समय केवल रीविजन होता था. इसलिए, इस रूटीन को फॉलो करना बहुत मुश्किल नहीं था. मैं रूटीन को लेकर बहुत अनुशासित थी. मैं भरसक इसे फॉलो करने की कोशिश करती थी. रूटीन ऐसा बनाया था कि उसका पालन कर सकूं. मैथ्स व अकाउंट्स की होती थी रोज प्रैक्टिस मैथ्स व अकाउंट्स ऐसे विषय हैं, जो रोज अभ्यास की मांग करते हैं. आप अगर इसका रोज अभ्यास नहीं करेंगे, तो हो सकता है कि अगले दिन आप टॉपिक की कुछ बातें भूल जायें. इसलिए, मैं इन दोनों ही विषयों का रोज अभ्यास करती थी. याद करने वाले विषय पर भी बराबर ध्यान देती थी. मैथ्स व अकाउंट्स के बाद मैं अन्य विषय का रीविजन करती थी. हर टेस्ट जरूरी मैं अनुभव के आधार पर कहना चाहती हूं कि स्कूल में होने वाली हर टेस्ट महत्वपूर्ण होती है. यह एक तरह से बोर्ड परीक्षा की तैयारी की सीढ़ी होती है. टेस्ट के बहाने संबंधित चैप्टर का रीविजन हो जाता है. बार-बार रीविजन आपको परफेक्शन की तरफ ले जाता है. इसके अलावा आपका कॉन्फिडेंस लेवल भी बढ़ता है. बोर्ड परीक्षा को हौव्वा न बनायें बोर्ड परीक्षा को हौव्वा नहीं बनायें. अगर आपके शिक्षक, माता-पिता रोज कहेंगे कि बोर्ड परीक्षा है, ढंग से तैयारी करो, तो परीक्षा को लेकर आप काफी गंभीर हो जायेंगे. यह तनाव का कारण बनता है. इसलिए, बोर्ड परीक्षा को हौव्वा बनाने की बजाय इसकी तैयारी आराम से करनी चाहिए. इसके लिए आपको रेगुलर रहना होगा. नोट्स से पढ़ना रहता है अच्छा हम लोगों के क्लास में नोट्स बनवाया जाता था. मैं इसे पढ़ती थी. स्कूल नोट्स से ही अपने शब्दों में खुद का शॉर्ट नोट्स बना लेती थी. इससे किसी भी टॉपिक को दोहराना अच्छा रहता है. परीक्षा नजदीक आने पर जब कम समय बचा था, तो मैं नोट्स से रीविजन करती थी. मैंने क्वेश्चन बैंक से भी तैयारी की थी. इससे आपमें परीक्षा की समझ विकसित होती है. एमबीए करना है लक्ष्य वर्तमान में मैं सेंट जेवियर्स कॉलेज रांची से अकाउंट्स ऑनर्स कर रही हूं. एमबीए करना मेरा लक्ष्य है. इसके बाद मैं अच्छी कंपनी में नौकरी करना चाहती हूं. बात पते की – प्रैक्टिस वाले विषय को रोज दोहरायें- टॉपिकवाइज पढ़ना अच्छा रहता है- स्कूल टेस्ट से कॉन्फिडेंस बढ़ता है

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