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आखिर कहां करें मॉर्निंग वॉक?

आखिर कहां करें मॉर्निंग वॉक? सेहत के लिए सुबह टहलना फायदेमंद होता है. यह जानकारी सभी को है. इसके बावजूद लोगों के सामने सबसे अहम सवाल यही है कि आखिर टहलें कहां? शहर के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाये, तो ज्यादा इलाकों में पार्क आदि की व्यवस्था नहीं है. विकास के क्रम में मैदान […]

आखिर कहां करें मॉर्निंग वॉक? सेहत के लिए सुबह टहलना फायदेमंद होता है. यह जानकारी सभी को है. इसके बावजूद लोगों के सामने सबसे अहम सवाल यही है कि आखिर टहलें कहां? शहर के कुछ इलाकों को छोड़ दिया जाये, तो ज्यादा इलाकों में पार्क आदि की व्यवस्था नहीं है. विकास के क्रम में मैदान सिमटते चले गये और वहां पर कंकरीट के जंगल खड़े हो गये. गाड़ियों की लंबी कतारें लग गयीं. सुबह सड़क पर ट्रैफिक कम होना चाहिये, लेकिन औद्योगिक शहर होने के कारण यहां हम उसकी अपेक्षा नहीं कर सकते. इसलिए, सड़कों पर टहलना खतरे से खाली नहीं. दुर्घटना अगर नहीं भी होती है, तो वाहनों की धुआं फेफड़े को जाम कर देगी. शहर के प्रमुख इलाकों में मॉर्निंग वॉकर की विवशता और जरूरतों पर केंद्रित है लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट… ———————जुगसलाई गाड़ियों से बचते-बचाते करते हैं मॉर्निंग वॉक जुगसलाई शहर का महत्वपूर्ण और बड़ा हिस्सा है. यहां से रेलवे स्टेशन काफी नजदीक है. इसके कारण यहां सुबह-शाम गाड़ियों का तांता लगा रहता है. ऐसे में यहां के लोग व्यस्त सड़कों पर मॉर्निंग वॉक के लिए मजबूर हैं. यहां मार्निंग वॉक या फुर्सत के क्षण बिताने के लिए कोई पार्क नहीं है. लोग चाहते हैं कि यहां पार्क बनाया जाये. इससे समस्या का निदान हो जायेगा.सड़क किनारे मॉर्निंग वॉक करना रिस्की है. लेकिन, हमारी मजबूरी भी है. पार्क न रहने से लोग सड़क किनारे टहलने को मजबूर हैं. लोगों को डर बना रहता है.विमल अग्रवालयहां के कुछ लोग मकदम पार्क तक चले जाते हैं. लेकिन कई बार यह पार्क बंद रहता है. दूसरा, घर से दूर भी है. इस वजह से अधिकतर लोग सड़क किनारे ही टहलते हैं. मोहल्ले में पार्क बन जाये, तो बहुत अच्छा रहेगा. जुगसलाई फाटक से रेलवे स्टेशन तक सड़क किनारे ही टहलने के लिए फुटपाथ बन जाये तो भी कुछ बात बने. वाहनों से बचाने के लिए फुटपाथ को ग्रिल किया जा सकता है.विजेंद्र सिंह———-आदित्यपुर पार्क रहते सड़क किनारे टहलने को मजबूर लोगअादित्यपुर व जमशेदपुर दो सड़क पुलों से जुड़ा है. इंडस्ट्रियल एरिया होने के कारण दोनों ही पुल हमेशा व्यस्त रहते हैं. आदित्यपुर बड़े भाग में फैला है और शहर की बड़ी आबादी यहां बसती है. लेकिन, यहां बिष्टुपुर के बाद पुल से एस टाइप तक कोई पार्क नहीं है. इस वजह से यहां के लोग भी सड़क किनारे ही टहलने को मजबूर हैं. यहां एक पार्क है भी, तो उसकी स्थिति ठीक नहीं है. मैं हरिओम नगर में रहता हूं. रोज सुबह टहलने निकलता हूं. घर से पुराने पुल तक चक्कर लगाता हूं. पुल पर बने फुटपाथ पर गिरने का भी डर रहता है. ध्यान से न चलने पर पैर रफ फुटपाथ से टकरा सकता है. यहां इवनिंग वॉक के लिए तो आ ही नहीं सकते. उस समय गाड़ियों की भीड़ रहती है.अजीत कुमार———–मैं भगवती एंक्लेव में रहती हूं. पार्क न होने के कारण सड़क किनारे ही मॉर्निंग वॉक करती हूं. यहां सुबह से ही गाड़ियां चलने लगती हैं. टहलते हुए गाड़ी से टकराने का हमेशा खतरा बना रहता है. गाड़ियों के शोर और प्रदूषण से स्वास्थ्य पर विपरीत असर भी पड़ सकता है.आशा माहेश्वरी———-मानगो जान हथेली पर लेकर करते हैं मॉर्निंग वॉक आबादी के हिसाब से आकलन करें, तो शहर की करीब 20 प्रतिशत से भी ज्यादा आबादी इस क्षेत्र में रहती है. इसके बावजूद इस इलाके में कोई पार्क नहीं है. यहां से जुबिली पार्क की दूरी करीब 6 किमी है. पारडीह से यह दूरी करीब 12 किमी पड़ेगी. यहां के बाशिंदों के लिए रोज जुबिली पार्क में टहलना संभव नहीं है. मजबूरी देखिये कि लोगों को मेन सड़क पर टहलते हैं. उसी सड़क पर जिससे होकर सुबह 4 बजे से ही बिहार से आने वाली गाड़ियां तेज रफ्तार में सांय-सांय गुजरती हैं. मैं मानगो पोस्ट ऑफिस रोड में रहता हूं. अगर यहां पार्क बना दिया जाये, तो लोगों को टहलने में सुविधा होगी. रोड पर टहलते हुए तेज गति से बस बिल्कुल बगल से निकल जाती है, तो दिल हाथ में आ जाता है. अभी लोग सड़क और पुल किनारे टहलने के लिए मजबूर हैं.मनोज कुमार रथ मेरा घर टीचर्स कॉलोनी में है. मैं रोज टहलता हूं. सड़क पर गाड़ियां अधिक होने के कारण हमेशा एक्सीडेंट का भय बना रहता है. आप दोस्तों के साथ गप करते हुए तो बिल्कुल भी नहीं टहल सकते. राकेश कुमार सिंह———-डिमना चौक हाइवे पर मॉर्निंग वॉक, मतलब मौत से सीनाजोरी डिमना चौक और एनएच-33 के किनारे कई बड़ी सोसायटियां और रिहायशी इलाके हैं. नेशनल हाइवे होने के कारण यहां बड़ी गाड़ियों की आवाजाही हमेशा रहती है. इस इलाके की बात की जाये, तो पारडीह से बालीगुमा तक एक भी पार्क नहीं है. इसलिए, यहां के लोग भी मॉर्निंग वॉक के लिए सड़क का ही चक्कर लगाते हैं.मैं हिलव्यू कॉलोनी में रहता हं. सुबह डिमना चौक से डिमना लेक की तरफ टहलने जाता हूं. इस रास्ते पर टहलना खतरे से भरा है. पहाड़ी इलाका होने के कारण रास्ता तंग है और एक तरफ पहाड़, तो दूसरी ओर खाई है. रास्ते में तीखे मोड़ भी हैं. ऐसे में टहलते हुए कब गाड़ी सामने आ जाती है, पता भी नहीं चलता.सुनील सिंह मैं शिरोमणनगर में रहता हूं. हाइवे किनारे टहलने का मतलब है, जान जोखिम में डालना. इसलिए, डिमना चौक से डिमना लेक की तरफ टहलने जाता हूं. वह बताते हैं कि सड़क पर टहलना सुरक्षित नहीं है. लोग धूल, धुआं और शोरगुल के बीच टहलने को मजबूर हैं. यहां पार्क हो जाये तो अच्छा रहेगा.अभय सिंह

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