भगवान भी हैं भक्त के वश में : सीताराम दास(फोटो मनमोहन-6)राधा गोविंद मंदिर में भागवत कथा का पांचवां दिन (फ्लैग)जमशेदपुर. भगवान अपने भक्तों के वश में रहते हैं. वे कहते भी हैं कि भक्त उनका हृदय हैं और वे भक्तों के हृदय, उससे प्रिय उन्हें कुछ भी नहीं. उक्त बातें प्रवचनकर्ता वृंदावन वासी आचार्य सीताराम दास ने रविवार को साकची फ्लावर मिल एरिया स्थित श्री राधा गोविंद मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें दिन कही. इस प्रसंग में उन्होंने अंबरीश की कथा सुनायी, जिनकी भगवान विष्णु में अपार भक्ति थी. एक बार दुर्वासा ऋषि ने क्रोध में उन्हें कृत्या उत्पन्न कर नष्ट होने का शाप दे दिया, किन्तु उनकी रक्षा में भगवान का सुदर्शन चक्र कृत्या को नष्ट कर ऋषि को नष्ट करने के लिए आगे बढ़ा तो वे भागते हुए ब्रह्मा एवं शिव की शरण में पहुंचे, किन्तु वहां उन्हें त्राण नहीं मिला. फिर भगवान शिव की सलाह पर वे भागे-भागे भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे, किन्तु उन्होंने भी यह कहते हुए उनकी मदद करने में असमर्थता जता दी कि वे तो भक्तों के वशीभूत हैं. उन्होंने ऋषि को अंबरीश से ही जाकर क्षमा याचना करने की सलाह दी और अंतत: अंबरीश के उन्हें क्षमा करने के बाद ही उनकी जान बची. आचार्य जी ने रविवार को प्रात: सत्र में राम जन्म की कथा सुनायी, जबकि संध्या सत्र में उन्होंने श्रीकृष्ण जन्म प्रसंग की कथा सुनायी.
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भगवान भी हैं भक्त के वश में : सीताराम दास
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