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एमजीएम : अधीक्षक का घेराव, चैंबर पर पथराव (मनमोहन 2, 3)

एमजीएम : अधीक्षक का घेराव, चैंबर पर पथराव (मनमोहन 2, 3)फ्लैग- झाड़ियों में मिला अज्ञात नवजात सौंपने की मांग पर हंगामा- लक्ष्मी सहायता समिति के सदस्य दो दिन से कर रहे हंगामा- अधीक्षक की सुरक्षा में लगे होमगार्ड व प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों से धक्का-मुक्की- दोपहर तीन बजे से देर शाम तक होता रहा हंगामासंवाददाता, जमशेदपुरआदित्यपुर […]

एमजीएम : अधीक्षक का घेराव, चैंबर पर पथराव (मनमोहन 2, 3)फ्लैग- झाड़ियों में मिला अज्ञात नवजात सौंपने की मांग पर हंगामा- लक्ष्मी सहायता समिति के सदस्य दो दिन से कर रहे हंगामा- अधीक्षक की सुरक्षा में लगे होमगार्ड व प्राइवेट सुरक्षा कर्मियों से धक्का-मुक्की- दोपहर तीन बजे से देर शाम तक होता रहा हंगामासंवाददाता, जमशेदपुरआदित्यपुर स्थित शिवनारायणपुर गांव के पास झाड़ियों में मिले अज्ञात नवजात को एमजीएम अस्पताल से ले जाने के लिए लक्ष्मी सहायता समिति के सदस्यों ने बुधवार को दूसरे दिन भी एमजीएम अस्पताल में हंगामा किया. सदस्यों ने अधीक्षक की गाड़ी रोक कर हंगामा किया. वहां तैनात होमगार्ड व प्राइवेट जवानों ने किसी तरह अधीक्षक को उनके चैंबर में पहुंचाया. इससे उग्र होकर समिति के सदस्यों ने ईंट- पत्थर चलाया. इसके बाद होमगार्ड व प्राइवेट सुरक्षा कर्मी के साथ समिति के सदस्यों की धक्का-मुक्की हुई. थाना प्रभारी व सीडीपीओ ने कराया शांतजानकारी मिलने पर साकची थाना प्रभारी अंजनी तिवारी व सीडीपीओ संध्या रानी पहुंची. उन्होंने लोगों को समझाकर शांत कराया. समिति के सदस्यों का कहना था कि उन्होंने नवजात को भरती कराया और उसका इलाज खर्च वहन कर रहे हैं. इस कारण उन्हें बच्चा दे दिया जाये. सीडीपीओ ने कहा कि कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद बच्चा को सौंपा जायेगा. इस पर समिति के सदस्य बच्चे का अस्पताल में सही इलाज हो इसकी लिखित मांग कर रहे थे. इस दौरान अधीक्षक अस्पताल में नहीं थे, इस कारण लिखकर नहीं दिया जा सका. थाना प्रभारी वे सीडीपीओ ने उन्हें समझाकर घर भेजा. मंगलवार को अधीक्षक चैंबर में किया था हंगामाइसके पहले मंगलवार की दोपहर समिति के सदस्यों ने अधीक्षक के चैंबर में घुस कर हंगामा किया था. इसके बाद साकची थाना ने उन्हें शांत कर आदित्यपुर थाना से लिखकर लाने को कहा. उसके बाद बच्चा देने की बात कही. वे लोग बुधवार को आदित्यपुर पुलिस स्टेशन गये. वहां थाना प्रभारी नहीं मिलने पर वे अस्पताल में बच्चा देने की मांग पर हंगामा करने लगे. बच्चे को देने की कर रहे मांगबच्चे की देखभाल कर रहे सूरज सोरेन ने कहा कि अस्पताल में भरती करने से लेकर अबतक इसकी देखरेख व दवा में चार हजार रुपये खर्च हो चुका है. अधीक्षक से बच्चे की मांग की, तो उन्होंने कहा बच्चा नहीं मिलेगा. कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही मिलेगा बच्चासीडीपीओ संध्या रानी ने कहा कि अज्ञात बच्चे को सौंपने की कानूनी प्रक्रिया होती है़ कम से कम 60 दिनों तक बच्चा रखकर किसी को दिया जाता है. यह मामला दूसरे जिला का है. इसलिए उस जिला में जाकर आवेदन देने के साथ ही कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी होगी.

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