जमशेदपुर: साहित्य को बढ़ावा देने के लिए उम्र नहीं देखा जाना चाहिए. बाल साहित्य को बढ़ावा देना होगा. उक्त बातें एसिया के अध्यक्ष एसएन ठाकुर ने कहीं. वे बिष्टुपुर चैंबर भवन में रविवार को ‘मैथिली बाल-साहित्य दशा और दिशा’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे. साहित्य एकेडमी और अंतरराष्ट्रीय मैथिली परिषद के संयुक्त तत्वावधान में इसका आयोजन किया गया. इसमें एक दर्जन शोध आलेख प्रस्तुत किये गये.
संगोष्ठी का उद्घाटन एसएन ठाकुर तथा मैथिली परामर्श मंडल साहित्य अकादमी की संयोजिका वीणा ठाकुर, विशेष कार्य पदाधिकारी एनसी महेश ने संयुक्त रूप से किया. उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता डॉ ब्रजकिशोर मिश्र, प्रो.भगवान जी चौधरी ने की. स्वागत भाषण परिषद के अध्यक्ष चंद्रनारायण मिश्र ने दिया. प्रथम सत्र में डॉ रवींद्र कुमार चौधरी, शिवकुमार, पंचानन मिश्र, अजय कुमार राय ने अपना शोध आलेख प्रस्तुत किया. द्वितीय सत्र शांति सुमन की अध्यक्षता में हुई. इसमें अरुणा झा, सियाराम, श्यामल सुमन, सुधीर कुमार मिश्र ने शोध आलेख प्रस्तुत किया.
तृतीय सत्र में ‘मेरे झरोखे से’ कार्यक्रम में हरिमोहन झा, डॉ अमरनाथ ने अपना व्याख्यान दिया. समापन सत्र में मुख्य अतिथि भविष्य निधि के आयुक्त जय कुमार ने कहा कि मैथिली भाषा की अस्मिता बचे, इसके लिए घरों में मैथिली भाषा को बढ़ावा देना होगा. इस मौके पर विशिष्ट अतिथि के तौर पर डॉ दिलीप झा उपस्थित थे. संचालन डॉ रवींद्र कुमार ने किया.