जमशेदपुर: एनएच की मरम्मत पर सरकार के ढुलमुल रवैये के खिलाफ झामुमो 16 जून से एनएच-33 व 6 पर अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी करेगा. इस दौरान बहरागोड़ा से लेकर रांची तक एनएच पर एक भी वाहन नहीं चलने दिया जायेगा. उक्त घोषणा झामुमो के कोल्हान प्रभारी सह विधायक चंपई सोरन, केंद्रीय प्रवक्ता सह विधायक कुणाल षाड़ंगी […]
जमशेदपुर: एनएच की मरम्मत पर सरकार के ढुलमुल रवैये के खिलाफ झामुमो 16 जून से एनएच-33 व 6 पर अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी करेगा. इस दौरान बहरागोड़ा से लेकर रांची तक एनएच पर एक भी वाहन नहीं चलने दिया जायेगा. उक्त घोषणा झामुमो के कोल्हान प्रभारी सह विधायक चंपई सोरन, केंद्रीय प्रवक्ता सह विधायक कुणाल षाड़ंगी और जिलाध्यक्ष रामदास सोरेन ने की. वे मंगलवार को निर्मल महतो गेस्ट हाउस में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे.
नेताओं ने कहा कि नाकेबंदी के दौरान मंत्री हो या मुख्यमंत्री या कोई अधिकारी किसी को जमशेदपुर आने नहीं दिया जायेगा. जरूरत पड़ी, तो एनएच-33 काट कर विरोध जताया जायेगा. मुख्यमंत्री अगर हवाई मार्ग से भी शहर पहुंचे तो उनका विरोध किया जायेगा. एनएच के मुद्दे पर झामुमो जेल जाने को तैयार है. वक्ताओं ने कहा कि सरकार एक ओर डेढ़ साल में एनएच की मरम्मत का टेंडर निकाल रही है, वहीं केंद्रीय मंत्री दो साल में इसके फोरलेन की बात कर रहे हैं.
यही कारण है कि किसी भी ठेकेदार ने टेंडर में हिस्सा नहीं लिया. एनएच मामले में मुख्यमंत्री ने खुद शार्ट टेंडर की बात कही थी, लेकिन अधिकारियों पर नियंत्रण नहीं होने के कारण इसकी यह दशा हुई. रामदास सोरेन ने कहा घाटशिला बाजारवाली सड़क का छह बार टेंडर निकला लेकिन एक भी ठेकेदार सामने नहीं आया. संवाददाता सम्मेलन में लालटू महतो, शेख बदरुद्दीन, बाबर खान, पवन कुमार सिंह, महावीर मुमरू, बाबूलाल सोरेन, सागेन पूर्ति, राज लकड़ा समेत अन्य पदाधिकारी मौजद थे.
सचिव पर चले क्रिमिनल प्रोसिडिंग : कुणाल
झामुमो प्रवक्ता कुणाल षाड़ंगी ने कहा कि पथ निर्माण विभाग की सचिव कमीशन का रेट तय कर रही हैं, इसलिए टेंडर फाइनल नहीं हो पा रहा है. एनएच पर अब तक दो दर्जन अधिक गर्भवती महिलाओं ने दम तोड़ा है. इस मौत के लिए पथ निर्माण विभाग की सचिव सीधे तौर पर जिम्मेदार हैं. सचिव पर क्रिमनल प्रोसिडिंग चलना चाहिए.
चाईबासा कैबिनेट नौटंकी : झामुमो
विधायक चंपई सोरेन व कुणाल षाड़ंगी ने चाईबासा में आयोजित कैबिनेट को नौटंकी बताया. कहा कि यह सिर्फ पैसों की बरबादी है. जब रांची में सारी व्यवस्था है तो फिर सरकारी अधिकारियों व आम जनों को तंग करने के लिए चाईबासा कैबिनेट का क्या औचित्य है. जब रांची में सारी व्यवस्था होने के बाद अधिकारी एक्टिव नहीं हैं तो फिर चाईबासा कैबिनेट के फैसले कैसे तुरंत प्रभावी होंगे. झामुमो के जमशेदपुर में महाधिवेशन होने के बाद, घबरा कर रघुवर दास ने चाईबासा में कैबिनेट करने की सोची.