बुधवार को वे एसएनटीआइ सभागार, बिष्टुपुर में आयोजित पुस्तक विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगी. पत्रकारों से बातचीत में साहित्य सृजन से जुड़े एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि राज्यपाल का पद संभालने के बाद भी उनकी लेखनी रुकी नहीं, उनकी सृजन यात्र आज भी जारी है. उन्होंने बताया कि वे कोलकाता विश्वभारती में व्याख्यान देने आयी थीं.
जमशेदपुर के चाहनेवालों का प्यार उन्हें यहां खींच लाया. विश्वभारती एवं कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से खासा प्रभावित श्रीमती सिन्हा ने कहा कि वहां उनकी प्रतिमा पर फूल चढ़ाते समय उन्हें लगा कि प्रतिमा अब बोल उठेगी. उन्होंने कहा कि उन्हें भाषा, साहित्य एवं संस्कृति से गहरा लगाव तथा हिंदी से भी खासा अनुराग था, इसीलिए उन्होंने हिंदी भवन बनवाया.
नारी मुक्ति, नारी सशक्तीकरण जैसे नारों एवं उनके नाम पर सतरंगी प्रलोभनों के बीच यह काम आलोचकों को आमंत्रित करने वाला भी था, किंतु इस श्रमसाध्य मंथन का परिणाम पुस्तक रूप में सामने आया है. भावना प्रकाशन, दिल्ली से प्रकाशित पौने दो सौ पृष्ठों की यह पुस्तक हिंदी सिनेमा के सौ वर्षीय सफर में स्त्री पात्रों की यात्र-कथा, उनके रूप-रंग-गंध में परिवर्तनों के विविध दौर तथा उसके साथ ही, स्वयं नारियों की सोच व दृष्टिकोण में आये बदलावों का ‘क्लीयर स्केच’ प्रस्तुत करती है. इसमें संग्रहित कुल 21 आलेख हिंदी सिनेमा में नारी चित्रण के विविध आयामों की पड़ताल करते हैं, जिनमें महिलाओं की सामाजिक-पारिवारिक स्थिति तथा उसकी खूबियों-खामियों की वर्तमान संदर्भों में समीक्षा उल्लेखनीय है.
पुस्तक हिंदी सिनेमा को देखने-समझने का नया नजरिया भी देती है, जो नारी-हितैषी (वूमन फ्रैंडली) समाज के निर्माण में सहायक हो सकती है. विमोचन आज : पुस्तक ‘नारी अस्मिता और भारतीय हिंदी सिनेमा’ का बुधवार संध्या 6:00 बजे एसएनटीआइ में आयोजित समारोह में लोकार्पण होगा. गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा व झारखंड महिला आयोग अध्यक्ष महुआ माझी लोकार्पण करेंगी.