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प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा कर पायें सौभाग्य

हेडिंग : वैशाख शुक्ल प्रदोष कललाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर वैसे तो महीने के दोनों ही पक्षों में प्रदोष आता है, किन्तु शुक्ल पक्ष के प्रदोष का विशेष महत्व है. वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार-शुक्रवार (30 अप्रैल-1 मई) की रात्रि 3:51 बजे से आरंभ होकर शुक्रवार (1 मई) को पूरी रात रहेगी. इसलिए वैशाख शुक्ल पक्ष […]

हेडिंग : वैशाख शुक्ल प्रदोष कललाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर वैसे तो महीने के दोनों ही पक्षों में प्रदोष आता है, किन्तु शुक्ल पक्ष के प्रदोष का विशेष महत्व है. वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि गुरुवार-शुक्रवार (30 अप्रैल-1 मई) की रात्रि 3:51 बजे से आरंभ होकर शुक्रवार (1 मई) को पूरी रात रहेगी. इसलिए वैशाख शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत 1 मई (शुक्रवार) को ही मनेगा. अलग-अलग वार को पड़ने वाले प्रदोष व्रत का महत्व भी भिन्न-भिन्न होता है. इस बार यह व्रत शुक्रवार को है. इसके लिए प्रात: स्नानदि से निवृत्त होने के बाद व्रत का संकल्प लें. फिर दिन भर उपवास रखते हुए संध्या काल में शिवालय जाकर बाबा भोलेनाथ की शोड़षोपचार विधि से पूजन का विधान है. इसमें उनको गंगाजल, जौ का सत्तू, घी, शक्कर आदि का भोग लगाया जाता है तथा आठों दिशाओं में दीप प्रज्वलित कर प्रणाम करने का विधान है. इसके अलावा नंदीश्वर को दूर्वादल एवं जल अवश्य चढ़ायें तथा माता पार्वती का भी सविधि पूजन करें. ऐसा करने से सुख सौभाग्य की वृद्धि होती है. व्रती अगले दिन सूर्योदय के पश्चात कभी भी व्रत का पारण कर सकते हैं.प्रदोष की पूजा के लिए उपयुक्त समयसंध्या 6:40 से रात्रि 7:12 बजे के बीच

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