सुयोपोका से मिली किशोरों को सीख लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर बांग्ला नाट्य सम्मेलन के अंतिम दिन शनिवार को मिलानी के रंगमंच पर बांग्ला नाटक सुयोपोका (भालुकीड़ा) मंचित हुआ. इसका मंचन कोलकाता के थियेटर ग्रुप नाट्य रंग द्वारा किया गया. इसका निर्देशन शोभन गंगोपाध्याय ने किया. नाटक चौदह साल की एक किशोरी की कहानी को सामने रखता है. क्या है कहानी 14 साल की धुर्वा किशोरावस्था में पहंुचने पर जीवन में आने वाले एहसास से विचलित हो जाती है. इसका जवाब उन्हें जब कहीं से नहीं मिलता है तो वह नेट आदि का सहारा लेती है. लेकिन यहां से प्राप्त जानकारी उसके जीवन में विपरीत परिणाम दे जाती है. बाद में दादाजी उसे गलत सही की पहचान कराते हैं. इस तरह उनका मन शांत होता है. धुर्वा का किरदार मौसमी सेनगुप्ता, दादाजी की भूमिका शोभन गंगोपाध्याय ने निभाया. इसमें कोलकाता के अभिनेता देवशंकर हालदार (खूनी के किरदार) ने निभाया. किशोरों को सही मार्ग दिखाता है नाटक शोभन ने बताया कि नाटक में किशोरवस्था की तुलना सुयोपोका कीड़े से की गयी है. सुयोपोका को देख बड़े-छोटे डरते है और उसे पैर से कुचल देते हैं. लेकिन इस कीड़े को अगर सही ढंग से संजोया जाये तो एक दिन वह खूबसूरत तितली बन जाती है. किशोरवस्था में किशोरों को सही मार्गदर्शन न मिले तो वे भटक जाते है. सही दिशा मिले तो वे भी तितली समान सुंदर बन जाते हैं. उन्होंने बताया कि थियेटर ग्रुप की शुरुआत उनके पिता स्व. गंगोपाध्याय ने की थी. भारत वर्ष के हर कोने में वे अपनी प्रस्तुति दे चुके हैं. जमशेदपुर में दूसरी बार आये हैं. उनकी टीम से 15 कलाकार आये हैं.
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बांग्ला नाट्य सम्मेलन के अंतिम दिन बांग्ला नाटक मंचित (फोटो ऋषि)
सुयोपोका से मिली किशोरों को सीख लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर बांग्ला नाट्य सम्मेलन के अंतिम दिन शनिवार को मिलानी के रंगमंच पर बांग्ला नाटक सुयोपोका (भालुकीड़ा) मंचित हुआ. इसका मंचन कोलकाता के थियेटर ग्रुप नाट्य रंग द्वारा किया गया. इसका निर्देशन शोभन गंगोपाध्याय ने किया. नाटक चौदह साल की एक किशोरी की कहानी को सामने […]
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