जमशेदपुर: वर्तमान में ‘मिनी इंडिया’ तथा ‘कॉस्मोपोलिटन टाउन’ का रूप अख्तियार कर चुके शहर को ‘कालीमाटी’ से जमशेदपुर के रूप में गुजरात के लोगों ने विकसित किया. नवसारी (गुजरात) के सपूत जएएन टाटा ने कालीमाटी गांव में उस लौह उद्योग की बुनियाद रखी, जिसकी सफलता के प्रभाव से कालीमाटी गांव जमशेदपुर शहर के रूप में विकसित हुआ. शहर में बसे गुजराती समाज को अपने इस गौरवपूर्ण इतिहास का ज्ञान भी है तथा उसके कारण समाज पर आये दायित्वों का भान भी, जिसे पूरा करने के लिए समाज के लोग तत्पर भी रहते हैं.
बीसवीं सदी की शुरुआत में कालीमाटी गांव जब शहर के रूप में विकसित होना शुरू हुआ, उसी समय पांच गुजराती रोजगार की तलाश में यहां पहुंचे तथा टाटा कंपनी से जुड़े. कंपनी ने भी उन्हें यहां स्थान दिया जिसमें वे स्थापित हुए तथा धीरे-धीरे अपना कारोबार आरंभ कर आगे बढ़े. विकास के क्रम में गुजरातियों ने शहर के विकास में भी अहम भूमिका निभायी तथा उद्योग-व्यापार ही नहीं, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक क्षेत्र में भी बढ़-चढ़ कर योगदान किया और आज भी कर रहे हैं. शहर के गुजराती समाज ने समाज के हर क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान किया है.
हर क्षेत्र में आगे रहे हैं गुजराती
शहर के उद्योग धंधे, व्यवसाय, शिक्षा, धर्म या परोपकार कोई भी क्षेत्र क्यों न हो, गुजराती समाज सदा आगे रहा है. शिक्षा में नरभेराम हंसराज एमई स्कूल के रूप में गुजराती समाज का प्रथम स्कूल सदी के शुरू में खुला, जिसके बाद डीएन कमानी तथा आरपी पटेल स्कूल (जुगसलाई) तथा अन्य शिक्षण संस्थान खुले.
गुजराती समाज के छोटेलाल ब्यास ने विधायक के रूप में विधानसभा में प्रतिनिधित्व किया तो धार्मिक क्षेत्र में गुजराती समाज ने विराट सर्वधर्म सम्मेलन का आयोजन सहित कई बड़े संतों के कार्यक्रम शहर में आयोजित कराये. विगत 85 वर्षो से गुजराती समाज सामूहिक नवरात्रि महोत्सव का आयोजन करता आ रहा है, इसी तरह संत जलाराम की जयंती भी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. प्राकृतिक आपदा के समय भी शहर के गुजराती पीड़ितों की सेवा में हरदम आगे रहे हैं.