वरीय संवाददाता, जमशेदपुरपरमात्मा एक हैं. वह चेतना के रूप में और विभाग रहित हैं. वह परिपूर्ण होने पर भी संपूर्ण भूतों में विभक्त जैसा प्रतीत होते हैं. यह बात स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने कही. वे सर्किट हाउस एरिया स्थित आत्मीय वैभव विकास केंद्र (सीआइआरडी) में चल रहे ज्ञान यज्ञ में साधकों को संबोधित कर थे. उन्होंने कहा कि परमात्मा बोध स्वरूप जानने योग्य हैं. वह अत्यंत सूक्ष्म हैं. इसी कारण साधारण मनुष्य उन्हें जान नहीं पाता है, लेकिन वह सभी के हृदय में विशेष रूप से स्थित हैं. हम सभी जिसे मैं कह कर सूचित करते हैं, वह जीवात्मा है. जीवात्मा परमात्मा का सनातन अंश है. अतएव परमात्मा सदैव हमारे साथ रहते हैं. स्वामी जी ने बताया कि कुछ लोग परमात्मा को सूक्ष्म बुद्धि, कुछ लोग ध्यान योग, कुछ ज्ञान योग, तो कुछ कर्मयोग से भी अपने हृदय में अनुभव कर सकते हैं. कार्यक्रम में डॉ एनके दास, डॉ आलोक सेनगुप्ता, आरएस तिवारी, पी सरोदे, प्रो सीताराम साहू समेत अन्य लोग सराहनीय सहयोग कर रहे हैं.
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परमात्मा चेतना के रूप में विद्यमान : स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ (फोटो है : हैरी- 32)
वरीय संवाददाता, जमशेदपुरपरमात्मा एक हैं. वह चेतना के रूप में और विभाग रहित हैं. वह परिपूर्ण होने पर भी संपूर्ण भूतों में विभक्त जैसा प्रतीत होते हैं. यह बात स्वामी निर्विशेषानंद तीर्थ ने कही. वे सर्किट हाउस एरिया स्थित आत्मीय वैभव विकास केंद्र (सीआइआरडी) में चल रहे ज्ञान यज्ञ में साधकों को संबोधित कर थे. […]
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