जमशेदपुर: भारतरत्न जेआरडी टाटा की सहृदयता और हर शख्स से मिलने का दोस्ताना अंदाज हर किसी को आकर्षित करता था. जो भी शख्स उनसे एक बार मिला, वह उनके व्यक्तित्व से प्रभावित हुए बिना नहीं रहा.
मानगो के माधवबाग कॉलोनी में रहने वाले 62 वर्षीय हरजीत सिंह कंबोज को जेआरडी टाटा के साथ बिताये एक-एक पल आज भी याद है. श्री कंबोज के जीवन में दो ऐसे मौके आये जब उन्हें जेआरडी टाटा के साथ वक्त गुजारने का मौका मिला.
वो पल आज भी उनके जीवन के अनमोल पलों में से एक हैं. श्री कंबोज ने बताया कि टाटा सन्स की पहली हवाई सेवा करांची से बांबे (अब मुंबई) के शुरू होने के 50 साल पूरे होने पर वर्ष 1982 में सोनारी एयरपोर्ट पर आयोजित कार्यक्रम में जब जेआरडी टाटा ने हवाई उड़ान भरी थी तब वे उनके साथ साथी पायलट थे. श्री कंबोज ने बताया कि वर्ष 1978 के फरवरी माह में उन्हें पहली बार जेआरडी टाटा के साथ गुजारने का मौका मिला.
तब जमशेदपुर के आसमान पर पुष्पक एयरक्राफ्ट उड़ाने में सफलता हासिल करने के लिए उनको जेआरडी टाटा ने अवार्ड दिया था. इस दौरान उन्होंने दो अवार्ड हासिल किया था. श्री कंबोज ने बताया कि जेआरडी टाटा का अंदाज इतना दोस्ताना था कि लगा ही नहीं कि वे इतनी बड़ी शख्सियत के साथ खड़े हैं. करीब दो घंटे तक वे वहां रहे और उड़ान में शामिल होने वाले सारे पायलटों की तारीफ भी की. इसके बाद वर्ष 1982 में जेआरडी टाटा ने खुद सोनारी एयरपोर्ट से वर्ष 1982 में उड़ान भरी थी. उस वक्त भी हरजीत सिंह कंबोज उनके साथ थे. श्री कंबोज ने बताया कि करीब दो घंटे तक की उड़ान के दौरान वे लगातार लैंडिंग और टेक-ऑफ करते रहे. पूरी उड़ान के दौरान वे काफी सहृदयता से बातचीत करते रहे.