जमशेदपुर: सड़क हादसे के शिकार हुए टाटा वर्कर्स यूनियन के कमेटी मेंबर (भाजपा नेता) संजय सिंह और उनकी बेटी सृष्टि सिंह उर्फ करिश्मा की बुधवार को जब अंतिम यात्र निकली तो पूरा रानीकूदर रो पड़ा. आवास से निकल कर पिता – पुत्री की अर्थी जिस रास्ते से भी गुजरी वहां के आसपास का माहौल गमगीन हो गया.
सभी की आंखे नम थीं. हाथ जोड़े लोग अर्थी के सामने शीश झुका रहे थे और मन ही मन दुआ कर रहे थे कि भगवान ऐसा दिन किसी भी परिवार को न दिखायें. मंगलवार को सड़क हादसे में मौत के बाद पिता-पुत्री के शव को टीएमएच में रखा गया था.
बुधवार को दोपहर साढ़े बारह बजे दोनों का पार्थिव शरीर टीएमएच से रानी कुदर स्थित उनके आवास पर लाया गया. पहले से ही गमगीन माहौल के बीच जब शव घर लाया गया तो परिजनों और सगे-संबंधियों के सब्र का बांध टूट गया. शव उतारते ही सभी फूट-फूट कर रोने लगे. सुनीता सिंह जैसे ही पति और बेटी की लाश एक साथ देखी, चित्कार मार कर रोने लगी. चारों ओर चीख पुकार मच गया. बेटा विशाल सिंह उर्फ बिट्ट भी दहाड़ मारकर रो रहा था. परिजन कभी बेटे विशाल को तो कभी पत्नी सुनीता को संभालने की कोशिश रहे थे. चीख-पुकार के बीच किसी तरह घर से एक साथ पिता और पुत्री की अंतिम यात्र पैदल ही बिष्टुपुर पार्वती घाट पर पहुंची.
बस्तीवाले पैदल पहुंचे पार्वती घाट
संजय सिंह के प्रति बस्तीवासियों और आम लोगों का लगाव ऐसा था कि उनकी अंतिम यात्र में हर कोई साथ हो लिया. शव को पार्वती घाट तक ले जाने के लिए बड़ी गाड़ी की व्यवस्था की गयी थी. टाटा स्टील की खुली गाड़ी की भी व्यवस्था की गयी थी, लेकिन लोगों ने शव को कंधे पर शव को ले जाने का फैसला लिया. रानीकूदर से पार्वती घाट तक सारे लोग पैदल ही अंतिम यात्र में शामिल हुए.
हर आम और खास पहुंचे
संजय सिंह सिर्फ टाटा स्टील के भीतर ही नहीं बल्कि बाहर भी काफी लोकप्रिय थे. कदमा और रानीकूदर क्षेत्र में वे भाजपा के लिए एक मजबूत स्तंभ माने जाते थे. यही वजह थी कि उनकी अंतिम यात्र में हर वर्ग के लोग शामिल हुए. उनकी अंतिम यात्र में शामिल होने वालों में सांसद विद्युत वरण महतो, विधायक सह पूर्व उपमुख्यमंत्री रघुवर दास, सुरंजन राय, राजेश सिंह, नंदजी प्रसाद समेत अन्य लोग शामिल थे.
भावुक हुए रघुवर, सरोज व अन्य
पूर्व उपमुख्यमंत्री रघुवर दास भी रानीकूदर में अंतिम यात्रा के वक्त घर पर पहुंचे थे. वे खुद भावुक हो गये. कमेटी मेंबर सरोज सिंह संजय सिंह के काफी नजदीकी मित्र थे. वे उनके आवास पर लगातार रोते, बिलखते और उनके साथ गुजारे पल को याद करते रहे. किस तरह अपने दोस्त संजय सिंह की कमी खलेगी, यह बताते हुए वे बार-बार रो पड़ते थे.
परिवार का पूरा साथ देगी टाटा स्टील
टाटा वर्कर्स यूनियन के कमेटी मेंबर संजय सिंह के असामयिक मौत के बाद उनके परिवार की रोजी रोटी चलती रहे, इसके लिए टाटा स्टील की ओर से व्यवस्था करने की तैयारी की जा रही है. बताया जाता है कि वीपी एचआरएम सुरेश दत्त त्रिपाठी ने टाटा वर्कर्स यूनियन के अध्यक्ष पीएन सिंह को इस आशय के संकेत दिये हैं कि उनके परिवार के बारे में टाटा स्टील सहानुभूति पूर्वक विचार करेगी और फैसला लेगी. हालांकि, नौकरी देने या दिलाने को लेकर अब तक किसी तरह की कोई ठोस बातचीत नहीं हुई है.
टूटा दुखों का पहाड़
सुनीता सिंह का एक साथ सबकुछ लुट गया. एक तरफ पति का साथ छूट गया, जिसके साथ जीने मरने की कसमें खायी थी, वहीं जिस बेटी के हाथ पीले करने के लिए दिल में ढेरों अरमान पाल रखे थे, वह भी सदा के लिए दूर चली गयी. पति और पुत्री को एक साथ खो चुकी सुनीता का दर्द बांटने की हिम्मत शायद किसी में नहीं थी. सुनीता बार-बार बेहोश हो रही थी. किसी तरह पानी के छींटे मार कर उन्हें होश में लाया जा रहा था. बेटे विशाल का भी यही हाल था.
पिता, बेटी की चिता आसपास जली : पिता व पुत्री का दुखद अंत एक साथ हुआ. यही वजह है कि इलेक्ट्रिक फर्नेस की बजाय शव को लकड़ी से चलाने की व्यवस्था की गयी. दोनो चिता आसपास सजायी गयी. विशाल सिंह ने मुखाग्नि दी.