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आदित्यपुर : एनआइटी व एनएमएल में कल होगा एमओयू बी टैक में 85% अंक वाले कर सकेंगे पीएचडी

आदित्यपुर : शहर में स्थित दो राष्ट्रीय संस्थानों नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) व नेशनल मेटलर्जीकल लैबोटरी (एनएमएल) तकनीकी शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग से एक-दूसरे के पूरक बनने वाले हैं. एनआइटी के छात्र-छात्राओं व एनएमएल के युवा वैज्ञानिकों के हित में दोनों संस्थानों ने हाथ मिलाया है. इसे औपचारिक रूप देने के लिए […]

आदित्यपुर : शहर में स्थित दो राष्ट्रीय संस्थानों नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) व नेशनल मेटलर्जीकल लैबोटरी (एनएमएल) तकनीकी शिक्षण-प्रशिक्षण के क्षेत्र में आपसी सहयोग से एक-दूसरे के पूरक बनने वाले हैं. एनआइटी के छात्र-छात्राओं व एनएमएल के युवा वैज्ञानिकों के हित में दोनों संस्थानों ने हाथ मिलाया है.
इसे औपचारिक रूप देने के लिए 11 दिसंबर को दोनों संस्थान प्रबंधनों के बीच एमओयू होगा. एमओयू के लिये दोनों के बीच एग्रीमेंट हो गया है. एनआइटी के प्रोफेसर सह डीन (फैकल्टी वेलफेयर) व प्रवक्ता अरविंद चौबे ने बताया कि इस एमओयू के बाद लोगों को नये अवसर मिलेंगे.
एमएमल के वैज्ञानिकों को एनआइटी से एमटेक व पीएचडी करने के लिए परीक्षा व साक्षात्कार से गुजरना नहीं पड़ेगा.
एमओयू के बाद एनएमएल के ऐसे वैज्ञानिक, जिन्होंने पीएचडी नहीं की है, वे एनआइटी में पीएचडी करेंगे. इसमें उन्हें ट्यूशन फीस तो देना होगा, लेकिन नामांकन के लिए परीक्षा व साक्षात्कार से गुजरना नहीं पड़ेगा.
इतना ही नहीं एनएमएल के वैज्ञानिक नौकरी करते हुए एनआइटी में संचालित पार्ट टाइम पढ़ाई के माध्यम से एमटेक की शिक्षा भी ग्रहण करेंगे. यह पढ़ाई शाम पांच बजे के बाद होती है. दोनों विभागों में सीट के अनुसार नामांकन होगा.
इसके अलावा एनएमएल के वैज्ञानिक एनआइटी में दो साल पहले लायी गयी 2.5 करोड़ की अत्याधुनिक मशीन पर भी काम कर सकेंगे. यह मशीन मेटलर्जी विभाग में लगायी गयी है, जिसकी मदद से स्मालेस्ट पार्टिकल को देखा जा सकता है.
छात्र करेंगे एनएमएल के लैब का उपयोग. एनएमएल से करार के बाद एनआइटी के छात्र वहां के हाइटेक लैब का उपयोग कर सकेंगे. साथ ही संबंधित विभाग के शिक्षक व शोधार्थी एनएमएल के संसाधनों का लाभ उठायेंगे. इससे छात्रों को अपना प्रोजेक्ट तैयार करने में भी मदद मिलेगी.
जुलाई के सत्र से शुरू हो जायेगी नयी व्यवस्था
एनआइटी जमशेदपुर में अब बीटेक की परीक्षा में 85 प्रतिशत अंक लाने वाले छात्र भी पीएचडी कर सकेंगे. अब तक दो साल के एमटेक का कोर्स करने के बाद ही पीएचडी में प्रवेश मिलती थी. इस बदलाव से संबंधित प्रस्ताव संस्थान की पिछली सीनेट बैठक में रखा गया था. इस पर कुछ सुधारों का निर्देश दिया गया. सिनेट की अगली बैठक में उक्त प्रस्ताव के पारित होने के बाद संभावना है कि जुलाई से शुरू होने वाले सत्र में नयी व्यवस्था लागू हो जाये.

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