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परंपरागत हथियार और ढोल-नगाड़े के साथ रेल लाइन पर जमे थे आंदोलनकारी
घाटशिला : आदिवासी संगठनों के रेल चक्का जाम से बंगाल से कई राज्यों का संपर्क कट गया. हावड़ा-मुंबई मार्ग, ओड़िशा और आद्रा-आसनसोल रूट पर पूरी तरह ट्रेन परिचालन ठप रहा. आंदोलनकारियों की अलग-अलग टीम बनाकर पांच जगहों पर रेल चक्का जाम कर दिया, वहीं खेमाशोली के पास हाइवे भी जाम कर दिया. इससे ट्रेनें जहां-तहां […]
घाटशिला : आदिवासी संगठनों के रेल चक्का जाम से बंगाल से कई राज्यों का संपर्क कट गया. हावड़ा-मुंबई मार्ग, ओड़िशा और आद्रा-आसनसोल रूट पर पूरी तरह ट्रेन परिचालन ठप रहा. आंदोलनकारियों की अलग-अलग टीम बनाकर पांच जगहों पर रेल चक्का जाम कर दिया, वहीं खेमाशोली के पास हाइवे भी जाम कर दिया. इससे ट्रेनें जहां-तहां रुकी रहीं.
यात्रियों में हाहाकार मच गया. पानी-भोजन पर आफत आ गयी. सुबह छह बजे से रात 11 बजे तक आदिवासी संगठन के लोग ट्रैक पर बैठे थे. इस दौरान कई दौर की वार्ता चली, लेकिन आंदोलनकारी अपनी मांगें पूरी होने तक जाम नहीं हटाने पर अड़े थे. इसके कारण रात 11 बजे तक ट्रेन सेवा बहाल नहीं हो पायी थी.
भारत जाकात मांझी परगना महाल के बैनर तले आंदोलनकारियों ने हावड़ा मुंबई मार्ग पर बंगाल के खेमाशोली, बालीचक और मेचेदा के पास रेल चक्का जाम कर दिया. वहीं आद्रा-आसनसोल रूट पर सालबनी के पास और ओड़िशा रूट में नेगुड़सीनी के पास रेल चक्का जाम कर दिया. इससे रेलवे के तीनों रूट में रेल सेवा पूरी तरह से ठप रही.
वहीं भारत जाकात मांझी परगना महाल के नित्यानंद हेंब्रम के नेतृत्व में हजारों की संख्या पुरुष और महिला आंदोलनकारी परंपरागत हथियार, ढोल-नगाड़े के साथ आंदोलन में उतरे. आंदोलनकारी सुबह छह बजे ही रेलवे ट्रैक और हाइवे पर जुटे थे. वहीं घाटशिला स्टेशन पर करीब साढ़े दस घंटे डाउन गीतांजलि एक्सप्रेस खड़ी रही. रात करीब 9:37 बजे गीतांजलि टाटानगर के लिए रवाना हुई. इस दौरान आंदोलनकारी छह से ज्यादा जगहों पर ट्रैक पर बैठे रहे.
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