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राशन दुकानों में 25 लाख टन अनाज जमा

जमशेदपुर : विभिन्न कारणों से नहीं वितरण हो पाने के कारण राज्य में खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा संचालित राशन दुकानों में करीब डेढ़ साल में लगभग 25 लाख टन अनाज (गेहूं और चावल) जमा हो गया है. इसकी कीमत करीब 500 करोड़ रुपये आंकी गयी है. खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय के निर्देश पर राज्य […]

जमशेदपुर : विभिन्न कारणों से नहीं वितरण हो पाने के कारण राज्य में खाद्य आपूर्ति विभाग द्वारा संचालित राशन दुकानों में करीब डेढ़ साल में लगभग 25 लाख टन अनाज (गेहूं और चावल) जमा हो गया है. इसकी कीमत करीब 500 करोड़ रुपये आंकी गयी है. खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय के निर्देश पर राज्य भर के राशन दुकानों की जांच में यह आंकड़ा सामने आया है.
अभी 25 हजार राशन दुकानों में से 80 फीसदी की जांच हुई है. बची हुई 20 फीसदी दुकानों की जांच में बचे हुए अनाज का आंकड़ा और बढ़ेगा. जांच में पाया गया कि जितना अनाज बांटने के लिए दिया गया, उतना बंटा नहीं है और न उसे लौटाया ही गया. राज्य सरकार से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक राज्य में प्रति माह 1 लाख 40 हजार मीट्रिक टन अनाज की आपूर्ति सरकार की ओर से राशन दुकानों को की जाती है.
पिछले साल मंत्री ने दिया आदेश, दोबारा दबाव बनाने पर खुलासा. मंत्री सरयू राय ने राज्य के खाद्य आपूर्ति विभाग को पिछले ही वर्ष राशन दुकानों की जांच करने का आदेश दिया गया था. लेकिन इसकी जांच करने के बाद कोई कार्रवाई नहीं की गयी. जब मंत्री ने फिर से दबाव बनाया तब राशन दुकानों की जांच की गयी और यह खुलासा हुआ है.
ऐसी दुकानों में स्टॉक खत्म होने तक अनाज की सप्लाइ नहीं. जांच के दौरान जिन राशन दुकानों में अनाज है पाया गया, उनमें अब सरकार की ओर से सप्लाइ नहीं की जायेगी. खाद्य आपूर्ति विभाग ने इसके लिए तीन श्रेणी बनायी है. पहली श्रेणी में वैसी दुकानें हैं, जिनके पास एक माह का स्टॉक बचा हुआ है, दूसरी श्रेणी जिसके पास दो माह का स्टॉक बचा है और तीसरी श्रेणी जिसके पास दो से छह माह तक का स्टॉक बचा हुआ है.
वर्तमान में सरकार तीसरी श्रेणी यानी जिन दुकानों के पास दो से छह माह तक का अनाज बचा हुआ है, उसको तब तक आपूर्ति नहीं करेगी जब तक पूरा स्टॉक का वितरण नहीं हो जाता है. यदि दुकानदार ने अनाज को खर्च कर दिया है तो उन्हें वापस बाजार से खरीदकर लाभुकों को उतना अनाज वितरित करना होगा जितना जांच के मुताबिक उनके पास जमा पाया गया है.
एफसीआइ के धर्मकांटों की भी होगी जांच. मंत्री के निर्देश पर फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (एफसीआइ) के पास लगाये गये धर्मकांटों की जांच शुरू कर दी गयी है. राज्य के सारे एफसीआइ गोदाम के पास धर्मकांटा की जांच करने को कहा गया है. इसके तहत रांची के चार धर्मकांटों की जांच की गयी. जांच में पाया गया है कि चुटिया और टाटीसिल्वे में धर्मकांटों में गड़बड़ी थी.
नगड़ी में भी एक धर्मकांटा की जांच की गयी. नगड़ी में एक धर्मकांटा में एक टन पर दस किलोग्राम की गड़बड़ी पायी गयी है जबकि दूसरे धर्मकांटे में पाया गया कि जिस धर्मकांटे का माप तौल विभाग से सत्यापन किया गया है या मुहर लगवायी गयी है उसे हटाकर असत्यापित और बिना मुहर वाले धर्मकांटा का इस्तेमाल किया जा रहा है. इस मामले में माप तौल विभाग की ओर से केस दायर कर दिया गया है.
सभी राशन दुकानों व धर्मकांटों की होगी जांच : मंत्री. सारे राशन दुकानों व धर्मकांटों की जांच हो रही है. जहां अनाज का स्टॉक पाया गया है, वहां सप्लाइ तब तक नहीं की जायेगी जब तक अनाज जो स्टॉक में है, उसको खर्च नहीं कर दिया जाता. डेढ़ साल का मामला है तो कई लोगों ने इसको बेच भी दिया होगा, लेकिन इससे विभाग को कोई मतलब नहीं है. उन्हें खरीदकर वितरण करना होगा.
सरयू राय, मंत्री, खाद्य आपूर्ति विभाग, झारखंड सरकार
क्या है पूरा मामला
केंद्र सरकार की ओर से राज्य सरकार को डिमांड के मुताबिक गेहूं और चावल उपलब्ध कराया जाता है. राज्य सरकार सारे राशन दुकानों को तय लाभुकों की संख्या के हिसाब से गेहूं और चावल की सप्लाइ करती है. राशन दुकानों में जितनी सप्लाइ की जाती है, उसमें से पूरा का पूरा अनाज लोगों को नहीं मिल पाता है.
कई लाभुक किसी माह में पैसे नहीं रहने या अन्य कारणों से अनाज नहीं ले पाये तो वह दुकानों में पड़ा रह जाता है. यह ट्रेंड पिछले कई वर्षों से रहा है. इसकी सुध न तो केंद्र सरकार और न ही राज्य सरकार लेती है. अब जाकर सरकार ने सुध ली है तो यह पाया गया कि दुकानों में करीब डेढ़ साल में 25 लाख टन अनाज पड़ा रह गया है.

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