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हार्डकोर नक्सली सुबोध इलाज कराते गिरफ्तार
पटना/चाईबासा : हार्डकोर नक्सली सुबोध कुमार सिंह उर्फ देवेंद्र को पटना से गिरफ्तार कर लिया गया है. बीते 11 मई को पश्चिमी सिंहभूम के गोइलकेरा स्थित बोरोई पहाड़ी पर पुलिस की कार्रवाई के दौरान भागने में पहाड़ से गिरने से उसकी रीढ़ की हड़्डी टूट गयी थी. तब से वह पटना में छुपकर इलाज करा […]
पटना/चाईबासा : हार्डकोर नक्सली सुबोध कुमार सिंह उर्फ देवेंद्र को पटना से गिरफ्तार कर लिया गया है. बीते 11 मई को पश्चिमी सिंहभूम के गोइलकेरा स्थित बोरोई पहाड़ी पर पुलिस की कार्रवाई के दौरान भागने में पहाड़ से गिरने से उसकी रीढ़ की हड़्डी टूट गयी थी. तब से वह पटना में छुपकर इलाज करा रहा था.
सुबोध नक्सली अरविंद का चचेरा भाई है. उसने कंकड़बाग इलाके को अपना ठिकाना बना रखा था. वह पहचान बदलकर भोजपुर कॉलोनी में शैलेंद्र कुमार द्विवेदी के मकान में किराये पर रह रहा था. झारखंड पुलिस की टीम लगातार इस नक्सली को ट्रेस करने में जुटी थी. झारखंड पुलिस के पास पक्की खबर थी कि सुबोध पटना में रह कर अपना इलाज करवा रहा है.
इसके बाद पटना के एसएसपी मनु महाराज से संपर्क किया. पटना पुलिस के साथ मिलकर झारखंड पुलिस की टीम ने कंकड़बाग के भोजपुर कॉलोनी में छापेमारी की और उसे अरेस्ट कर लिया. टीम में गढ़वा व लातेहार पुलिस शामिल थी.
2009 में मनु महाराज की टीम ने किया था गिरफ्तार : मूल रूप से जहानाबाद जिले के सिकरिया गांव नि
वासी सुबोध को पटना पुलिस पहले भी गिरफ्तार कर चुकी है. अक्तूबर 2009 में तत्कालीन सिटी एसपी मनु महाराज और एसएसपी विनीत विनायक के निर्देश पर की गयी कार्रवाई में वह पकड़ा गया था. उसे अगमकुआं थाना इलाके से पकड़ा गया था. उसकी निशानदेही पर पटना के राजीव नगर से एक गाड़ी में लोड भारी संख्या में विस्फोटक बरामद किया गया था. सुबोध के बताये ठिकाने पर रांची में भी छापेमारी हुई थी, जहां से भारी मात्रा में हथियार जब्त किये गये थे.
बोरोई पहाड़ी पर 11 दिनों तक चली थी मुठभेड़
चाईबासा. शीर्ष माओवादी लीडर किशन दा, मिसिर बेसरा व सुधाकरण से कोल्हान जंगल में पुलिस व नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी. गोइलकेरा के बोरोई पहाड़ी पर पुलिस व नक्सलियों के बीच अप्रैल माह में 11 दिनों तक गोलीबारी हुई थी. इसमें पुलिस ने बोरोई पहाड़ी पर स्थित नक्सलियों के स्थायी बेस कैंप सह प्रशिक्षण केंद्र को ध्वस्त किया था. यहां से पुलिस ने विस्फोटक समेत, लेवी देने वालों की सूची समेत कई आपत्तिजनक सामान बरामद किये थे. इस दौरान गोली लगने से कोबरा के दो जवान भी घायल हुए थे. घने जंगल का लाभ उठाकर नक्सली भागने में सफल रहे थे. मुठभेड़ को लेकर आइजी ऑपरेशन ने कहा था कि 25 साल बाद किशन दा के साथ पुलिस की सीधी मुठभेड़ हुई थी. पुलिस ने किशन दा की पालकी और छड़ी भी बरामद की थी.
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