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शत्रु संपत्ति को हिदायत ने खरीदा, करार रद्द करें

जमशेदपुर : जमशेदपुर छोड़ कर वर्षों पूर्व जा चुके पाकिस्तानी नागरिक मदार खान पुत्र स्व. मूसा खान की धातकीडीह स्थित बी ब्लॉक मकान नंबर 101 की संपत्ति को गृह विभाग ने शत्रु संपत्ति मानते हुए इसे शत्रु संपत्ति संरक्षक (कस्टोडियन) विभाग को सुपुर्द कर दिया है. अब विभाग के अधीक्षक पीसी फियोथो ने इस संपत्ति […]

जमशेदपुर : जमशेदपुर छोड़ कर वर्षों पूर्व जा चुके पाकिस्तानी नागरिक मदार खान पुत्र स्व. मूसा खान की धातकीडीह स्थित बी ब्लॉक मकान नंबर 101 की संपत्ति को गृह विभाग ने शत्रु संपत्ति मानते हुए इसे शत्रु संपत्ति संरक्षक (कस्टोडियन) विभाग को सुपुर्द कर दिया है.
अब विभाग के अधीक्षक पीसी फियोथो ने इस संपत्ति के पूर्व में हुई खरीद-फरोख्त पर आपत्ति जताते हुए पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त को पत्र लिखकर भविष्य में संपत्ति का हस्तांतरण व म्यूटेशन नहीं करने करने को कहा है.
साथ ही उक्त संपत्ति को रेवेन्यू रिकाॅर्ड में शत्रु संपत्ति के रूप में दर्ज करने को कहा है. पत्र में तत्काल प्रभाव से इस संपत्ति के क्रय-विक्रय, समझौता करार एवं हस्तांतरण को रद्द करने का निर्देश दिया गया है. कस्टोडियन ने जिला प्रशासन से इस संबंध में कार्रवाई की विस्तृत रिपोर्ट मांगी है. शत्रु संपत्ति संरक्षक विभाग कई वर्षों से संपत्ति को अपने संरक्षण में लेने के लिए प्रयासरत है. पूर्व के वर्षों में जिला प्रशासन स्तर से कोई कार्रवाई नहीं होने पर विभाग ने अफसोस जताया है. अधीक्षक के पत्र के आलोक में जिला प्रशासन ने मामले में आगे की कार्रवाई के लिए जमशेदपुर के अंचलाधिकारी महेश्वर महतो को मामला सुपुर्द कर दिया है.
1969 को पाकिस्तान चले गये थे मदार खान. विभाग के पूर्व के पत्र के आलोक में जिला प्रशासन ने वर्ष 2009 में मामले की जांच करायी थी. जांच में यह बात सामने आयी थी कि पाकिस्तानी नागरिक मदार खान 1 अगस्त 1969 को पासपोर्ट संख्या 190589 से पाकिस्तान लौट चुके हैं. यह मामला 10 सितंबर 1965 से 26 सितंबर 1977 के बीच का है. जांच रिपोर्ट के आधार पर माना गया था कि मदार खान की मृत्यु 1989 के पूर्व हो चुकी है.
क्या है शत्रु संपत्ति?
दो देशों में लड़ाई छिड़ने पर ‘दुश्मन देश’ के नागरिकों की जायदाद सरकार कब्ज़े में ले लेती है ताकि दुश्मन लड़ाई के दौरान उसका फायदा न उठा सके.
भारत ने 1962 में चीन, 1965 और 1971 में पाकिस्तान से लड़ाई छिड़ने पर भारत सुरक्षा अधिनियम के तहत इन देशों के नागिरकों की जायदाद को अपने अधीन ले लिया था.
इसके तहत ज़मीन, मकान, सोना, गहने, कंपनियों के शेयर और दुश्मन देश के नागरिकों की किसी भी दूसरी संपत्ति को अधिकार में लिया जा सकता है.
विधेयक में व्यवस्था
हाल ही में पारित हुए विधेयक में कस्टोडियन को शत्रु संपत्ति का मालिक बना दिया गया, यह 1968 से ही प्रभावी मान लिया गया.
दूसरे, शत्रु संपत्ति की अब तक हुई बिक्री गैर कानूनी घोषित कर दी गयी.
भारतीय नागरिक विरासत में शत्रु संपत्ति दूसरे को नहीं दे सकते.
दीवानी अदालतों को कई मामलों में शत्रु संपत्ति से जुड़े मुकदमे पर सुनवाई का हक नहीं होगा.
नतीजा
इसका नतीजा यह है कि किसी भारतीय नागरिक ने कोई शत्रु संपत्ति खरीदी है या उसे विकसित किया है तो कानूनी तौर पर उससे वह ले लिया जा सकता है. वह मामले को सिर्फ हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में ही उठा सकता है.

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