23.1 C
Ranchi
Friday, March 29, 2024

BREAKING NEWS

Trending Tags:

कुरमी महाजुटान : शैलेंद्र ने शुरू किया जनसंपर्क अभियान, पूछा : संपन्न लोगों को सूची से हटाने का सरकार को है अधिकार?

जमशेदपुर : झारखंड कुरमी संघर्ष माेरचा के बैनर तले झारखंडी कुरमी-कुड़मियाें का महाजुटान 29 अप्रैल काे रांची स्थित माेरहाबादी मैदान में हाेगा. महाजुटान में काेल्हान से कुड़मियाें की भागीदारी दमदार हाे, इसकाे लेकर झारखंड आंदाेलनकारी सह पूर्व सांसद शैलेंद्र महताे ने तीनाें जिलाें में संपर्क अभियान तेज कर दिया है. झारखंड के विभिन्न राजनीतिक दलाें […]

जमशेदपुर : झारखंड कुरमी संघर्ष माेरचा के बैनर तले झारखंडी कुरमी-कुड़मियाें का महाजुटान 29 अप्रैल काे रांची स्थित माेरहाबादी मैदान में हाेगा. महाजुटान में काेल्हान से कुड़मियाें की भागीदारी दमदार हाे, इसकाे लेकर झारखंड आंदाेलनकारी सह पूर्व सांसद शैलेंद्र महताे ने तीनाें जिलाें में संपर्क अभियान तेज कर दिया है.

झारखंड के विभिन्न राजनीतिक दलाें के 42 विधायकाें द्वारा हस्ताक्षरित मांग पत्र आठ फरवरी काे मुख्यमंत्री रघुवर दास काे साैंप कर कुड़मियाें काे अनुसूचित जाति में शामिल करने की मांग शैलेंद्र महताे के नेतृत्व में की गयी थी. शैलेंद्र महताे ने बताया कि मांग पत्र में दस पृष्ठ के ऐतिहासिक दस्तावेज भी साैंपे गये हैं, जिनमें कुरमी-कुड़मी के जनजाति हाेने के प्रमाण का वर्णन है.

पूर्व सांसद शैलेंद्र महताे ने बुधवार काे अपने आवास पर पत्रकाराें से बातचीत करते हुए कहा कि 23 नवंबर 2004 काे झारखंड सरकार द्वारा मंत्रिमंडल में निर्णय लेकर कुरमी-कुड़मी जाति काे अनुसूचित जनजाति सूची में शामिल करने के लिए अनुशंसा केंद्र काे भेजी गयी थी. लगभग 11 साल बाद केंद्र सरकार के जनजातीय कार्य मंत्रालय के निदेशक राजीव प्रकाश ने झारखंड सरकार के सचिव (कार्मिक-प्रशासनिक) काे रघुवर दास सरकार के 10 फरवरी 2015 के पत्र का हवाला देते हुए लिखा कि मानव जातीय रिपाेर्ट के अनुसार झारखंड़ के कुरमी (महताे) जाति काी सामाजिक-आर्थिक स्थिति अनुसूचित जन जातियाें की स्थिति से अच्छी है. इसलिए इस जाति काे यथा स्थिति बनाये रखने की आवश्यकता है. मंत्रालय की आेर से काेई भी कार्रवाई लंबित नहीं है.
श्री महताे ने कहा कि केंद्र की रिपाेर्ट तथ्यहीन, आधारहीनआैर सच्चाई से परे है. वे झारखंड जनजातीय शाेध संस्थान से पूछना तचाहते हैं कि वर्तमान में जाे आदिवासी नेता, मंत्री अफसर, अनुसूचित जनजाति का लाभ ले रहे हैं आैर सामाजिक, आर्थिक रूप से संपन्न हैं, ताे क्या उन्हें अनुसूचित जनजाति की सूची से हटा दिया जायेगा. गजट अफ इंडिया (1913) आैर बिहार एंड आेड़िशा गजट (1931) में जिसमें मुंडा, संथाल, उरांव, हाे, भूमिज, खड़िया आदि जनजाति के साथ-साथ टाेटाेमिक कुरमी जाति काे जनजाति माना है.
You May Like

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

अन्य खबरें