जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स काॅम्प्लेक्स में हुआ आयोजन, जो बच्चे टिफिन लाये थे, शिक्षकों ने कहा – बांट कर खा लो
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खेल महाकुंभ में चयन को नंगे पांव और भूखे ही दौड़े छात्र
जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स काॅम्प्लेक्स में हुआ आयोजन, जो बच्चे टिफिन लाये थे, शिक्षकों ने कहा – बांट कर खा लो सुबह से ही आने लगे थे स्टूडेंट्स, प्रशासन ने नहीं की कोई व्यवस्था जमशेदपुर : शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए खेल महाकुंभ का आयोजन जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स […]
सुबह से ही आने लगे थे स्टूडेंट्स, प्रशासन ने नहीं की कोई व्यवस्था
जमशेदपुर : शिक्षा विभाग की ओर से सरकारी प्राइमरी स्कूल के बच्चों के लिए खेल महाकुंभ का आयोजन जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में किया गया. यहां स्कूली बच्चे भूख से परेशान रहे. जो टिफिन लेकर आये थे, उसमें से ही शिक्षकों ने आपस में बांट कर खाने की सलाह दे दी. 10 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच बच्चों को नंगे पैर ओस से भरे मैदान में दौड़ा दिया गया और खेलकूद के नाम पर बच्चों को मस्ती कराने के बाद शाम चार बजे छुट्टी दी गयी.
सुबह से ही अव्यवस्था, अंत तक बच्चों की परेशानी दिखी. सीसीएल और झारखंड सरकार द्वारा खेलकूद को बढ़ावा देने के लिए स्कूली बच्चों के लिए सुबह से ही रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू कर दी गयी थी. इस दौरान स्कूली बच्चे सुबह से ही आ गये थे, लेकिन सुबह 11 बजे से रजिस्ट्रेशन शुरू हुआ. जेआरडी टाटा स्पोर्ट्स काॅम्प्लेक्स में दो नल थे.
दूरदराज से सुबह छह बजे ही आ गये थे. जिले का खेल महाकुंभ जेआरडी टाटा स्पोटर्स कॉम्प्लेक्स में आयोजित था. दूरदराज से सुबह छह बजे से ही स्कूलों के बच्चों को बुला दिया गया था. वहां से बच्चे आये थे, लेकिन शिक्षकगण अपने समय से ही सुबह 11 बजे आये, तब जाकर बच्चों ने खेलकूद में भाग लिया.
झारखंड स्टेट प्रोमोशन सोसाइटी की अोर से विद्यार्थियों की खेल प्रतिभा की जांच की जा रही है. करीब एक लाख बच्चों में से 100 बच्चों का अंतिम रूप से चयन किया जायेगा. आर्मी ग्राउंड अचानक से कैंसिल होने की वजह से थोड़ी अव्यवस्था हुई.
बांके बिहारी सिंह, जिला शिक्षा अधीक्षक
हम लोगों का क्या इंतजाम होगा, जब बच्चों का नहीं हुआ : शिक्षक
बच्चों को लेकर सरजामदा से अाये शिक्षक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर कहा कि हम लोगों का इंतजाम मत पूछिये. बेचारे बच्चे पानी पीने को तरस रहे है. जो टिफिन लेकर बच्चे आये है, वे लोग तो खा लेते, लेकिन हम लोगों ने दबाव देकर बच्चों को मिलकर खाकर सबकी भूख मिटाने को कहा. शिक्षक का कहना था कि खिलाने का न तो फंड किया गया था और न ही मैदान में ही कोई व्यवस्था थी.
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