घाघीडीह में खरकई नहर निर्माण के लिए सुवर्णरेखा परियोजना द्वारा जमीन अधिग्रहण की प्रक्रिया की गयी थी, जिसके लिए चाईबासा स्थित रिकार्ड रूम से खतियान एवं अन्य कागजात मंगाया गया था, जिसके जवाब में कागजात फटा हुआ होने की बात सामने आयी थी. पुन: स्थल मापी के दौरान स्थानीय लोगों से पूछ कर रैयत का नाम दर्ज किया गया, जहां महिला सिगो हेंब्रम के नाम दर्ज हो गया अौर पंचाट, अवार्ड सिगो हेंब्रम के नाम से घोषित हुआ अौर कागजात के आधार पर सिगो हेंब्रम ने मुआवजा राशि का दावा किया. गोशाला प्रबंधन को मामले की जानकारी हुई, तो जमीन के दस्तावेज के साथ मुआवजा राशि का दावा किया.
मुआवजा दावेदार के संबंध में विरोधाभाष होने पर मामला प्राधिकार के समक्ष चला गया अौर राशि का भुगतान नहीं हो सका. इस दौरान अक्तूबर 2016 में गोशाला प्रबंधन द्वारा उपायुक्त अमित कुमार को फरजीवाड़े से अवगत कराया अौर उपायुक्त ने इसकी जांच करायी अौर अंचलाधिकारी, कानूनगो समेत की रिपोर्ट मंगायी. अंचलाधिकारी, कानूनगो की रिपोर्ट में बताया गया कि घाघीडीह की वह जमीन गोशाला की है अौर 1934 से खतियान, रसीद गोशाला के नाम से कट रही है.
जांच में यह बात सामने आयी कि विजय सिंह मुंडा द्वारा वह जमीन आपसी समझौते में सिगो हेंब्रम को देना बताया गया था, जबकि खतियान में वह जमीन विजय सिंह मुंडा के नाम से है ही नहीं. जांच रिपोर्ट के आधार उपायुक्त द्वारा सुवर्णरेखा के भू अर्जन पदाधिकारी लखी चरण बास्के, अमीन देवेंद्र प्रसाद सिंह, खगेंद्र नाथ, सिगो हेंब्रम, दुलू हेंब्रम, विजय सिंह मुंडा, कानूनगो केएन ठाकुर को नोटिस कर जवाब मांगा जा रहा है.