जमशेदपुर: मेडिकल और इंजीनियरिंग के प्रति छात्रों से अधिक अभिभावकों की दीवानगी बच्चे के कैरियर को नष्ट कर रही है. किसी दूसरे क्षेत्र में बेहतर करने की क्षमता के बावजूद अभिभावक बच्चों के कंधे पर जबरन मैथ, फिजिक्स, केमेस्ट्री और बायोलॉजी का किताब लाद देते हैं. चूंकि इस क्षेत्र में उनका झुकाव नहीं होने कारण वे असफल हो जाते हैं.
इससे एक बच्चे का कैरियर खत्म हो जाता है. स्कूली जीवन में ही बच्चे की क्षमता को आंक कर उसके आधार पर तैयारी करवाने के लिए देश के स्कूलों में खास तौर पर एक इवेंट (स्पेस ओ थॉन) लांच किया गया है. अब तक इस इवेंट से देश के सात राज्यों के करीब 15 लाख 40 हजार बच्चों को जोड़ा जा चुका है. इसमें जमशेदपुर के करीब 65,000 बच्चे भी शामिल हैं. अगस्त 2013 से शहर में इसकी शुरुआत हुई. सबसे पहले लिटिल फ्लावर स्कूल में इसे लांच किया गया, इसके बाद शहर के लगभग सभी स्कूलों में इसे शुरू किया जा चुका है. इसके जरिये बच्चों की प्रतिभा को आंका जा रहा है और वे भविष्य में किस क्षेत्र में कैरियर निर्माण करें इसे बताया जा रहा है.
क्या है स्पेस ओ थॉन
स्पेस ओ थॉन पूरी तरह से कैरियर गाइडेंस प्रोग्राम है. इसे स्कूलों में दो चरणों में किया जाता है. पहले चरण में लिखित परीक्षा से उनकी मौजूदा स्थिति की जांच की जाती है. दूसरे चरण में उन्हें उनकी शैक्षणिक योग्यता के आधार पर कैरियर आधारित 8 चैलेंज दी जाती है, इसे चार महीने में पूरा करना होता है. इसके बाद एक-एक बच्चे का फाइनल आंकलन के बाद बच्चे के कैरियर का रिपोर्ट कार्ड उन्हें स्कूल के जरिये दिया जाता है.
धनबाद के संजय बनर्जी ने उठाया बीड़ा
स्पेस ओ थॉन लांच करने वाले संजय बनर्जी धनबाद के निवासी हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा धनबाद से पूरी की. इसके बाद आइएसएम धनबाद से इंजीनियरिंग की, इसके बाद आइआइएम कोलकाता से मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की और फिर बच्चों को कैरियर को लेकर भटकाव ना हो इसके लिए स्पेस ओ थॉन को लांच किया.