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मानगो : न्यू उलीडीह बस्ती स्थित आदिवासी कल्याण मिडिल स्कूल का हाल, शौच लगने पर भेज दिया जाता है घर
जमशेदपुर : राज्य सरकार हर बच्चे को स्कूल से जोड़ने के लिए लगातार अभियान चला रही है. उन्हें हर तरह की सुविधायें उपलब्ध करा रही है. लेकिन मानगो के न्यू उलीडीह न्यू उलीडीह बस्ती में स्थित आदिवासी कल्याण मिडिल स्कूल में स्थापना के 60 साल बाद भी बुनियादी सुविधायें उपलब्ध नहीं हो पायी हैं. आदिवासी […]
जमशेदपुर : राज्य सरकार हर बच्चे को स्कूल से जोड़ने के लिए लगातार अभियान चला रही है. उन्हें हर तरह की सुविधायें उपलब्ध करा रही है. लेकिन मानगो के न्यू उलीडीह न्यू उलीडीह बस्ती में स्थित आदिवासी कल्याण मिडिल स्कूल में स्थापना के 60 साल बाद भी बुनियादी सुविधायें उपलब्ध नहीं हो पायी हैं.
आदिवासी जनकल्याण समिति द्वारा संचालित सरकारी सहायता प्राप्त इस स्कूल में न बेंच-डेस्क है शौचालय की सुविधा. शौचालय है भी तो उसका उपयोग नहीं होता है. दरवाजा टूटा हुआ है. केजी से आठवीं तक के बच्चे जमीन पर बैठ कर पढ़ाई करते हैं. वे रोज घर से अपने साथ बैठने के लिए बोरा लेकर आते हैं. शौच लगने पर बच्चों को घर भेज दिया जाता है. विद्यालय की स्थापना वर्ष 1957 में हुई थी. यह विद्यालय सरकारी सहायता प्राप्त है. यहां पांच शिक्षकों का पद है जिनमें तीन शिक्षक ही पदस्थापित हैं. दो पद खाली है.
विभाग से पत्राचार किया, कोई पहल नहीं हुई. बेंच-डेस्क के लिए कई बार विभाग से पत्राचार किया गया. फंड की कमी है. बच्चों को कई तरह की परेशानी होती है लेकिन हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते. कालेन बारा, प्राचार्य
बेंच डेस्क की सुविधा नहीं है. घर से बोरा लेकर आते हैं. बारिश व ठंड में दिक्कत होती है.
लड्डू कांडाइत, छात्र
शौचालय टूटा हुआ है. हमारी समस्या की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जाता है.
पूजा हेम्ब्रम, छात्रा
ठंढ और बारिश के मौसम में परेशानी बढ़ जाती है. शौचालय तो होनी ही चाहिए.
लक्ष्मी उगरा सुंडी , छात्रा
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