वनाधिकार पट्टा जंगल, गांव और ग्रामसभा का था, है और रहेगा 12हैज26में- समाहरणालय के समक्ष धरना देते लोग हजारीबाग. संयुक्त वनाधिकार समिति, हजारीबाग के बैनर तले शुक्रवार को समाहरणालय परिसर में वनाधिकार कानून 2006 के लंबित दावों के निष्पादन की मांग को लेकर एक दिवसीय जनाक्रोश रैली सह सांकेतिक धरना दिया गया. निर्मल महतो पार्क से रैली निकालकर ग्रामीण पारंपरिक वेशभूषा में तख्ती-बैनर लेकर धरना स्थल पहुंचे. कार्यक्रम की अध्यक्षता शिवराम बास्के तथा संचालन चुन्नुलाल सोरेन ने किया. वक्ताओं ने कहा कि वनाधिकार पट्टा जंगल गांव और ग्रामसभा का था, है और रहेगा. वन विभाग बिचौलियों के सहारे ग्रामीणों को प्रताड़ित करना बंद करे, अन्यथा आंदोलन तेज होगा. समिति ने उपायुक्त को नौ सूत्री ज्ञापन सौंपा इसमें वनाधिकार दावों की जांच का अधिकार केवल ग्रामसभा को दिए जाने, लंबित दावों पर शीघ्र कार्रवाई करने, फर्जी मुकदमों को वापस लेने तथा वन विभाग की मनमानी रोकने की मांग की गयी. समिति ने कहा कि अंचल कार्यालय को दावों की जांच का अधिकार देना गैरकानूनी है. साथ ही मांग की गयी कि मासिक समीक्षा बैठकों में वनाधिकार मुद्दों को भी शामिल किया जाये. धरना स्थल पर विभिन्न प्रखंडों से आये अध्यक्ष, सचिव व हजारों ग्रामीणों ने अपनी बातें रखीं. वक्ताओं में छोटू हांसदा, राजेंद्र टुडू, फादर जॉर्ज मनिपाल, गुंजर महतो, मनोज बेसरा, जयप्रकाश सिंह पटेल, चन्द्रनाथ भाई पटेल, रमेश हेम्ब्रोम, सुशील ओडिया, ननकी देवी समेत कई ग्रामीण शामिल थे.
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