कटकमसांडी. प्रखंड के पत्थलकुदवा में सरना झंडागड़ी सह विश्व आदिवासी दिवस शनिवार को मनाया गया. आदिवासी मिलन समारोह में जय सरना ट्रस्ट के केंद्रीय अध्यक्ष धर्मगुरु कृष्णा उरांव, विजय तिग्गा एवं मुख्य पाहन महावीर उरांव व मंगल उरांव उपस्थित थे. कार्यक्रम का शुभारंभ अखरा में पूजा-पाठ कर किया गया. आदिवासी भाई-बहनों ने पारंपरिक वेशभूषा में कलश में जल उठाकर सिरसिता डाड़ी प्रस्थान किया. डाड़ी में पाहन ने जल संकल्प कराकर सभी महिलाओं को कलश में जल दिया. इसके बाद महिलाएं मांदर की थाप पर सरना स्थल की परिक्रमा करते हुए मां सरना, धर्मेश, गंवाठ बाबा की आराधना की. फिर आदिवासी समाज ने अपने-अपने गांव से कलश का मिलन किया. सभी लोग एक-दूसरे से गले मिले और विश्व आदिवासी दिवस पर वीर शहीद पूर्वजों को माल्यार्पण किया. पारंपरिक संस्कृति के तहत नाच-गाना, नुक्कड़ जैसे कार्यक्रम हुए. मौके पर माना खलखो, पाहन ब्रजेश मुंडा, परमेश्वर मुंडा, किशोर मुंडा, धनेश्वर उरांव, बेचन उरांव, प्रेमलाल मुंडा, दीपक मुंडा, सुरेश उरांव, नरेश मुंडा, बिरसा उरांव, ओम उरांव, कुमारी लक्ष्मी मुंडा, पूजा कुमारी, रेशमी कुजूर, रोशनी कुजूर, रूपा मुंडा, निशु मुंडा, वर्षा मुंडा, सनातन मुंडा, मानसी उरांव, अनामिका एक्का, निरल उरांव, सौरभ बेदिया, आनंद उरांव, बादल सिंह मुंडा, राजेश उरांव, धनेश्वर उरांव, दीपक उरांव सहित काफी संख्या में लोग मौजूद थे.
बेटा-बेटी को समान रूप से शिक्षित करें : किरण मुंडा
इस दौरान पाहनों के सहयोग से सरना झंडागड़ी धर्मगुरु ने की. धर्मगुरु ने बताया कि डाड़ी के जल से नहाने से दुख-तकलीफ दूर हो जाता है. सरना स्थल में श्रद्धालु दूर-दूर से पहुंचकर अपनी मनोकामना पूर्ण करते हैं. केंद्रीय सचिव सह सरना धर्म अगुआ किरण मुंडा ने कहा कि संयोग है कि इस सरना स्थल पर प्रत्येक वर्ष सावन पूर्णिमा में ही झंडागड़ी होती है और आज विश्व आदिवासी दिवस भी है. उन्होंने कहा कि बेटा हो या बेटी, दोनों को समान रूप से शिक्षित करें.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

