: बरही में पहला महावीरी झंडा प्रीतम सिंह ने अपने घर पर लगाया था
बरही. बरही में रामनवमी मनाने का इतिहास सौ साल से अधिक समय का है. बुजुर्गों की मानें, तो बरही में पहला महावीरी झंडा प्रीतम सिंह ने गिलान स्थित अपने घर पर लगाया और पूजा प्रारंभ की थी. उन्होंने जिस जगह पहला झंडा गाड़ा था, वहां आज छोटा सा एक हनुमान मंदिर व भगवती मंदिर मौजूद है. बाद के वर्षो में बरही बाजार के रामचरण साव सहित कई लोगों ने अपने घर पर महावीरी ध्वज स्थापित किया. इसके बाद तो बरही बाजार, तेली टोला, मल्लाह टोली सहित विभिन्न मोहल्लों के लोग रामनवमी मनाने लगे और घर-घर महावीरी ध्वज लहराने लगा. रामनवमी अब बरही का एक महत्वपूर्ण त्योहार बन गया है. बरही में रामनवमी पर निकाली जाने वाली झाकियां देखने लायक होती है.रामनवमी में गंगा जमुना तहजीब दिखती थी :
कई पीढ़ी पहले रामनवमी पर निकाले जाने वाले जुलूस में आसपास के मुस्लिम समुदाय के लोग भी शामिल होते थे. वे जुलूस में हिंदू समाज के लोगों के साथ मिल कर लाठी व शस्त्र परिचालन का अदभुत खेल दिखाते थे. महावीर ध्वज की सिलाई मुस्लिम दर्जी किया करते थे. कहा जाता था कि पांच वक्त के नमाजी दरबारी खलीफा से बेहतर कोई महावीरी ध्वज नहीं सिल सकता था. बाद में परमेश्वर केसरी महावीर ध्वज तैयार करने का काम करने लगे. ये सभी वर्षो पहले गुज़र चुके हैं. पऱ उनकी स्मृतियां बाकी हैं.अनुशासन का ख्याल
रखा जाता था:
रामनवमी जुलूस बैंड बाजे के साथ निकाला जाता था. जुलूस में अनुशासन का पूरा ख्याल रखा जाता था. तब जीटी रोड, पटना रोड व हजारीबाग रोड आज की तुलना में कम चौड़ा था. इसके बाद भी जुलूस आधे रोड पर चलता था, आधे रोड को वाहनों के गुजरने के लिए खाली छोड़ दिया जाता था.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है