संजय सागर
बड़कागांव. हजारीबाग जिले के बड़कागांव में दलहन फसल के उत्पादन में क्रांति आ गयी है. यहां के किसान चना की खेती करने में अग्रणी हैं. इतना ही नहीं, कहा जा रहा है कि प्रति वर्ष लाखों रुपये का चना बेच कर लोग अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे हैं. चना से होने वाले लाभ को देखते हुए बड़कागांव के किसान हर साल इसकी खेती से जुड़ रहे हैं. किसान अपने-अपने खेतों से हरी बूट झंगरी निकाल कर बड़कागांव दैनिक बाजार, बादम साप्ताहिक बाजार, हरली, चंदोल, नया टांड़, हजारीबाग, भुरकुंडा, पतरातू, सयाल व सौंदा के बाजारों में 20 रुपये प्रति किलो व्यापारियों के पास बेचते हैं. व्यापारी इसे खरीद कर 30 से 35 रुपये प्रति किलो बेचते हैं. बड़कागांव बाजार में हर सुबह बाहरी व्यापारी चना खरीद कर विभिन्न जिलों में निर्यात करते हैं.बेरोजगार युवक भी हो रहे हैं आत्मनिर्भर
चने की खेती से किसानों के अलावा बेरोजगार भी रोजगार करने लगे हैं. जो बेरोजगार घर में बैठे रहते थे, अब वे छोटी पूंजी लगा कर किसानों से हरी बूट झंगरी खरीद कर बेच कर आत्मनिर्भर हो रहे हैं. गंगा दोहर के कृषक कृष्णा महतो ने बताया कि उसने तीन एकड़ में धान कटाई के बाद चना लगाया है. इस समय चना में फल गया है. इसे बाजार ले जाकर बेच रहे हैं. चने की गुणवत्ता के आधार पर थोक में 20 से लेकर 30 रुपये प्रति किलो की दर से चना बिक रहा है. इससे एक सीजन में 50 से 60 हजार रुपये तक की कमाई हो जाती है. ऐसे ही गांव के दिनेश महतो, रामेश्वर महतो भी धान की कटाई के बाद चना की खेती कर रहे हैं. यह कार्य कई वर्षों से कर रहे हैं. चना से आर्थिक आमदनी हो रही है. मनोज कुमार ने बताया कि रोजगार नहीं मिलने पर मैंने चना के व्यवसाय के लिए 500 रुपये की पूंजी लगायी. अब मैं हर दिन एक हजार रुपया कमा रहा हूं.इन गांवों में की गयी है चना की खेती
किसानों के अनुसार, बड़कागांव प्रखंड में लगभग 1200 एकड़ में चना की खेती की गयी है. प्रखंड के गंगा दाेहर में सबसे ज्यादा चने की खेती की गयी है. इसके अलावा बड़कागांव पूर्वी पंचायत, बड़कागांव पश्चिमी पंचायत, कांडतरी , सांढ़, नयाटांड़, हरली, महुगाई कलां, तलसवार, आंगों समेत अन्य पंचायत में भी चना की खेती की गयी है.
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