Barkagaon Chhath Puja 2025, हजारीबाग (बड़कागांव, संजय सागर): झारखंड की राजधानी रांची से लगभग 90 किलोमीटर दूर स्थित बड़कागांव में छठ पूजा की परंपरा 1680 ई. से चली आ रही है. यह धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मानी जाती है. राजा दलेल सिंह खुद ही सूर्य देव की उपासना किया करते थे.
राजा दलेल सिंह ने 1680 में की थी छठ महापर्व मनाने की शुरुआत
राजा दलेल सिंह की पुस्तक ‘शिवसागर’ के अनुसार, वर्ष 1680 में उन्होंने डुमारो नदी के तट पर बड़कागांव में छठ महापर्व की शुरुआत की थी. मुगलों के आक्रमण से बचने के लिए उन्होंने भगवान सूर्य की उपासना आरंभ की. बाद में राजा दलेल सिंह ने कर्णपुरा राज की राजधानी बादम में स्थापित की और अपने किले की सुरक्षा के लिए हहारो नदी के मार्ग को बदलने हेतु बदमाही पहाड़ को काटकर पंच वाहिनी माता की स्थापना की. यहां आज भी पांच देवियों की पूजा की जाती है.
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बदमाही नदी के तट पर राजा-रानी ने की थी छठ पूजा की शुरुआत
सन् 1690 में बदमाही नदी के तट पर राजा-रानी द्वारा छठ पूजा की गई थी, और यह परंपरा आज भी जारी है. राम जानकी मंदिर के पुजारी चिंतामणि महतो के अनुसार, मेघन दास बाबा ने वर्ष 1936 में यहां छठ पूजा की शुरुआत की थी. इसके बाद से बड़कागांव में छठ महापर्व नियमित रूप से मनाया जाने लगा.
बड़कागांव के 80 फीसदी घरों में मनायी जाती है छठ पूजा
तत्कालीन सरपंच किशुन साव ने 1981 में बड़कागांव में छठ पूजा का आयोजन शुरू किया. इसके बाद बालकृष्ण महतो, पूर्व विधायक लोकनाथ महतो, पूर्व प्रमुख गुरु दयाल महतो, धर्मचंद महतो और बालेश्वर महतो के घरों में पूजा होने लगी. आंबेडकर मोहल्ला में सर्वप्रथम केसर राम और तुरी मोहल्ला में शिवराम तुरी ने छठ पूजा की. 1992 में गांगो राम और 1993 में बसंत रविदास और बैजनाथ रजक ने भी पूजा आरंभ की. आज बड़कागांव के लगभग 80 फीसदी घरों में छठ पूजा मनाई जाती है.
बड़कागांव में उत्साह के साथ मनाया जाता है छठ महापर्व
बड़कागांव के पूर्व विधायक लोकनाथ महतो, जय नाथ महतो, प्रदीप सोनी और मनोज गुप्ता का कहना है कि छठी मैया की पूजा और सूर्य को अर्घ देने से उनकी मनोकामनाएं पूरी हुई हैं. यही कारण है कि हर वर्ष बड़कागांव में छठ महापर्व बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है.
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