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वकीलों ने जलायी बिल की प्रतियां

अधिवक्ता कानून में संशोधन प्रस्ताव का विरोध हजारीबाग : अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन प्रस्ताव के विरोध में देश भर के अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को आधे दिन तक ही न्यायिक कार्य किया. यह निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर लिया गया. अधिवक्ताओं के पूरा काम नहीं करने के कारण मुवक्कीलों को परेशानी हुई. अधिवक्ता […]

अधिवक्ता कानून में संशोधन प्रस्ताव का विरोध
हजारीबाग : अधिवक्ता अधिनियम में संशोधन प्रस्ताव के विरोध में देश भर के अधिवक्ताओं ने शुक्रवार को आधे दिन तक ही न्यायिक कार्य किया. यह निर्णय बार काउंसिल ऑफ इंडिया के आह्वान पर लिया गया. अधिवक्ताओं के पूरा काम नहीं करने के कारण मुवक्कीलों को परेशानी हुई. अधिवक्ता संघ ने संसद में संशोधन के लिए पेश के किए जानेवाले बिल की निंदा की. इसे लेकर संघ के अध्यक्ष किशोरी मोहन वर्मा की अध्यक्षता में सभा हुई. वहीं राज्यपाल एवं केंद्रीय कानून मंत्री के नाम डीसी को ज्ञापन सौंपा गया. उसके बाद अधिवक्ता संघ के सदस्यों ने जिला जज कार्यालय के समक्ष प्रस्तावित बिल की प्रति जलायी.
सचिव राजकुमार राजू् ने कहा कि अधिवक्ता कानून में किसी तरह की छेड़छाड़ बरदाश्त नहीं करेंगे. वक्ताओं ने एक स्वर में बिल को तत्काल वापस लेने की मांग केंद्र सरकार से की. कहा कि बिल पास हो जाने से अधिवक्ताओं के अधिकार व स्वतंत्रता भंग होगी. विरोध करनेवाले अधिवक्ताओं में जवाहर प्रसाद, गौतम चक्रवर्ती, शशिभूषण लाल, रमेश सिंह, प्रणव झा, शंभु कुमार, महावीर प्रसाद, चंद्रनाथ भाई पटेल, मनोज शर्मा, सुनील ठाकुर, रंजन कुमार, कुणाल कुमार, गौरव सहाय, फनी कुमार यादव, एकराम खान, गुलाम जिलानी, संजय सिंह, शिवकुमार शिबू, बबलू कुमार, शशिकांत ओझा, अरविंद झा, प्रमोद सिंह, अजज कुमार, आफताब आलम, नवनेश कुमार आदि शामिल थे.
क्या है प्रस्तावित बिल में
अधिवक्ता की लापरवाही से केस हारने पर उससे आठ लाख रुपया क्षतिपूर्ति वसूलने, कोर्ट में ऊंची आवाज में बहस करने पर लाइसेंस न्यायाधीश द्वारा रद्द करने, बार काउंसिल में निर्वाचित सदस्यों से ज्यादा सरकार द्वारा मनोनीत सदस्यों को शामिल करने, गैर-अधिवक्ताओं को भी काउंसिल का सदस्य मनोनीत करने के अलावा बिल में कई ऐसे प्रस्ताव शामिल हैं. अधिवक्ताओं के अनुसार इन प्रस्तावों के माध्यम से वकीलों का अधिकार को छीनने का प्रयास किया गया है.

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