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हत्या के विरोध में निकाला गया कैंडल मार्च

कटकमसांडी. दो युवतियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटना और उनकी हत्या करने के विरोध में कटकमसांडी चौक स्थित बिरसा मिशन इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राओ ने कैंडल मार्च निकाला. मार्च में अपनी विभिन्न मांगों को रखते हुए छात्र-छात्राएं कटकमसांडी मुख्यमार्ग से प्रखंड सह अंचल कार्यालय होते हुए मलियाम बस्ती पहुंचे. यहां पर उपस्थित शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों […]

कटकमसांडी. दो युवतियों के साथ हुई दुष्कर्म की घटना और उनकी हत्या करने के विरोध में कटकमसांडी चौक स्थित बिरसा मिशन इंटर कॉलेज के छात्र-छात्राओ ने कैंडल मार्च निकाला.
मार्च में अपनी विभिन्न मांगों को रखते हुए छात्र-छात्राएं कटकमसांडी मुख्यमार्ग से प्रखंड सह अंचल कार्यालय होते हुए मलियाम बस्ती पहुंचे. यहां पर उपस्थित शिक्षकों, जनप्रतिनिधियों और विद्यार्थियों ने शोक व्यक्त किया और दो मिनट का मौन रख ईश्वर से प्रार्थना की. सभी ने सरकार एवं जिला प्रशासन से हत्यारे की अविलंब गिरफ्तारी की मांग की. कॉलेज प्राचार्य अजीत दास ने पुलिस अधीक्षक हजारीबाग से महाने नदी एवं समीप के गांवो में पुलिस गश्ती की मांग की. मौके पर प्रमुख कुमारी श्रीति पांडेय, उप मुखिया अरुण पांडेय, रोहित कुमार पांडेय मौजूद थे.
65 वर्षों से लंबित है हवाई अड्डा निर्माण की योजना
हजारीबाग हवाई अड्डा निर्माण की योजना पिछले 65 साल से लंबित है. हवाई अड्डा निर्माण के लिए लगभग 300 एकड़ भूमि अधिग्रहण करने के लिए राज्य सरकार के भूमि राजस्व विभाग ने अधियाचना पत्र तक जिला प्रशासन को कभी नहीं भेजा है. वर्षों से हवाई अड्डा बनाने की घोषणा कई स्तर पर होती रही है.
केंद्रीय नगर उड्डयन मंत्रालय और राज्य सरकार ने हजारीबाग नगवां हवाई अड्डा को क्षेत्रीय विमान संपर्कता योजना में शामिल किया है. केंद्रीय नगर विमानन राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने मंत्रालय का कार्यभार लेने के बाद ही हजारीबाग हवाई अड्डा के विकास की योजना को प्राथमिकता में शामिल किया. क्षेत्रीय विमान संपर्कता योजना के तहत हजारीबाग हवाई अड्डा को राष्ट्रीय स्तर का बनाने की योजना है. वहीं राज्य सरकार और छोटे शहरों को हवाई सेवा से जोड़ने कीयोजना में हजारीबाग को पहले स्थान पर रखा गया है. प्रस्तुत है सलाउद्दीन की रिपोर्ट
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1951-52 में अस्तित्व में आया हजारीबाग हवाई अड्डा
हजारीबाग-पटना रोड एनएच-33 के किनारे हवाई अड्डा के लिए जमीन अधिग्रहण की योजना बनी, लेकिन 65 साल बाद भी हजारीबाग हवाई अड्डा नहीं बना. प्रभात खबर के योजना के अधूरे रहने की पड़ताल में यह बात सामने आयी कि हवाई अड्डा के लिए लगभग 300 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए नगर विमानन विभाग व राज्य सरकार भू-राजस्व विभाग ने आज तक जमीन अधिग्रहण की अधियाचना पत्र ही नहीं भेजी गयी है. जिला प्रशासन, राज्य और केंद्र सरकार के अधिकारियों समेत जनप्रतिनिधियों ने कभी भी योजना पर गंभीरता नहीं बरती. अब केंद्रीय नगर उड्डयन राज्य मंत्री जयंत सिन्हा और वर्तमान डीसीरविशंकर शुक्ला ने 65 साल बाद हजारीबाग हवाई अड्डा बनाने की योजना पर पहल की है.
हजारीबाग नगवां हवाई अड्डा बनाने के लिए राज्य सरकार के भू राजस्व विभाग ने जिला प्रशासन को जमीन अधिग्रहण करने के लिए अधियाचना पत्र ही नहीं भेजा है. जमीन लगभग 500 एकड़ से भी अधिक मौजूद है. हवाई अड्डा के लिए लगभग 300 एकड़ जमीन की अधियाचना होनी है. जमीन का विवाद मात्र 33 एकड़ में है. शेष जमीन पर कभी कोई विवाद नहीं हुआ है. जमीन अधियाचना के लिए कभी प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई है. ऐसे में हजारीबाग हवाई अड्डा निर्माण की घोषणा, सुविधा उपलब्ध कराने की बात राजनेताओं द्वारा कहना बेमानी है.
संयुक्त बिहार का महत्वपूर्ण जिला हजारीबाग था. सन 1833 में हजारीबाग जिला की स्थापना हुई. अक्तूबर 1886 में सरकारी अधिसूचना के तहत हजारीबाग नगरपालिका की स्थापना हुई.
उस समय हजारीबाग की जनसंख्या 10 हजार से अधिक थी. हजारीबाग जिला के अंतर्गत उस वक्त बोकारो, गिरिडीह, चतरा, कोडरमा, रामगढ़ जिला भी था. खनिज संपदाओं व भौगोलिक स्थिति को देख अंगरेजों व राजनेताओं ने हजारीबाग को महत्वपूर्ण स्थान माना. 1951 में हजारीबाग में हवाई अड्डा बनाया गया. उस वक्त नगर विमानन का सिग्नल टॉवर लगाया गया था. यहां सीमेंट का स्टेज भी बना हुआ है. इसके अलावा लगभग 500 एकड़ जमीन भी 2000 तक रही. हालांकि पिछले 12 वर्षों से इन इलाकों में आवास व व्यावसायिक भवन बन गये. वहीं क्रशर व होटल भी खुले. अभी भी सैंकड़ों एकड़ जमीन हवाई अड्डा के लिए मौजूद है.
वर्ष 1951 से 2017 तक हजारीबाग हवाई अड्डा बनाने के लिए राज्य सरकार, भू-राजस्व विभाग से लगभग 300 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए कभी अधियाचना नहीं हुई है. जिला प्रशासन के स्तर से हवाई अड्डा बनाने के लिए जमीन अधिग्रहण का कार्य तीन बार हुआ. 1945-46 में 27.37 एकड़, 1951-52 और 1952-53 में 6.198 एकड़ जमीन अधिग्रहण हुई.
वहीं नगवां व चुरचू गांव की 33.568 एकड़ जमीन अधिग्रहण का मामला फाइलों में है. झारखंड सरकार परिवहन नगर विमानन विभाग के पत्रांक नंबर 558 दिनांक 16.09.2016 में सरकार के उप-सचिव रामनारायण राम ने सचिव राजस्व निबंधन एवं भूमि सुधार विभाग झारखंड को 33 एकड़ जमीन की जानकारी दी. पत्र में सरकार के उप सचिव ने कहा है कि हजारीबाग नगवां हवाई अड्डा के लिए रैयतों की भूमि का अर्जन वर्ष 1945-46 में एलए केस नंबर 02-1945-46 और 03-1952-53 क्रमश: 27.37 एकड़ व 6.91 एकड़ पर किया गया था. सचिव कहते हैं कि संभवत: मुआवजे का भुगतान भी कर दिया गया था.
1945-46 व 1951-52 में 33 एकड़ जमीन 38 रैयतों के लिए गये. इसमें भुवनेश्वर महतो, भलुआ महतो (पिता-झनु महतो) के दो हिस्सा. गणपत महतो (पिता-बेनी महतो) चुरचू गांव की एक कट्ठा जमीन निर्धारित हुई. चमुवा महतो (पिता-भीम महतो) चुरचू 47 रुपये पांच कट्ठा, जयलाल पांडेय रामेश्वर पांडेय पिता बुधन पांडेय का एक हिस्सा, फूलचंद पांडेय पिता मारूक पांडेय नगवां समेत सभी रैयतों के बीच चंद रुपये में प्रति कट्ठा जमीन का कागजात सिर्फ भू-राजस्व के पास उपलब्ध है.
नगवां चुरचू गांव के निवासी व रैयत रामनरेश कुमार ने शुरूआती दिनों में तत्कालीन डीसी चंदन कुमार बसु, एनएस माधवन से लेकर वर्ष 2011 तक के डीसी कार्यालय जाकर अपनी फरियाद लगायी. हजारीबाग नगवां हवाई अड्डा निर्माण करने करने से पहले रैयतों के साथ बैठक कर लें.
लेकिन किसी डीसी ने रैयतों के साथ बैठक नहीं किया. रैयत रामनरेश कुमार ने बताया कि लोग चाहते हैं कि हजारीबाग हवाई अड्डा में जहाज उतरे. हजारीबाग का विकास चाहते हैं. लेकिन रैयतों को नियमानुकूल और उसका हक देने के बाद. जिला प्रशासन के भू-अर्जन विभाग में सिर्फ 27.37 और 6.198 एकड़ जमीन अधिग्रहण का अधूरा कागजात है. जिसमें रैयतों के पूर्वजों का नाम जमीन क्षेत्रफल और राशि तय हुआ था, उसका उल्लेख है. लेकिन हवाई अड्डा के लिए पूरे जमीन का अधिग्रहण कार्य नहीं किया गया. 50 वर्षों के बाद हमलोगों के जमीन पर हवाई अड्डा बनाने के लिए हवाई पट्टी का कार्य करने से पहले जमीन अधिग्रहण नये सिरे से किया जाय.
क्योंकि जो 33 एकड़ जमीन में रैयतों को मुआवजा चंद रुपयों में देने की बात कही जा रही है. जिला प्रशासन के पास यह भी नहीं है कि किस रैयत का कितना जमीन किस प्लॉट से लिया गया है. छोड दिया गया है. यहां तक की यह मामला लंबित रहे. इसके लिए पीआइएल तक करने के लिए मजबूर कर दिया. जिला प्रशासन के भूमि अधिग्रहण का पोल जांच के दौरान खुलता नजर आता है. 33 एकड़ जमीन अगर 1952-53 में अधिग्रहण किया गया. किसी भी रैयत को मुआवजा का भुगतान का कागजात क्यों नहीं उपलब्ध कराती है.
50 साल तक रैयत अपनी जमीन का लगान सरकार को देते रहे. आज की तारीख में भी उस जमीन का लगानसरकार को दे रहे हैं. जमीन अधिग्रहण करने के बाद जिला प्रशासन ने नगर विमानन विभाग, भवन विभाग, पीडब्ल्यूडी या अन्य विभाग को जमीन स्थानांतरित क्यों नहीं किया. इस जमीन पर आरइओ ने तीन साल पहले करोड़ों रुपये के सड़क नगवां हवाई अड्डा से चुरचू गांव तक कैसे बनाया गया. यह जमीन यदि हवाई अड्डा के लिए अधिग्रहित थी, तो सड़क कैसे बनी. इसी जमीन पर एनएच 33 फोर लाइन बरही से हजारीबाग तक हो रहा है. एनएच ने इन्हीं रैयतों को जमीन लेकर मुआवजा भी वर्ष 2013 में दिया. जब जिला प्रशासन का जमीन अधिग्रहण था, तो एनएच भुगतान क्यों किया.
पीआइएल पर जिला प्रशासन सक्रिय
हजारीबाग नगवां हवाई अड्डा पर पीआइएल डब्ल्यूपीसी 1292-2011 रामनरेश कुमार व अन्य एवं बनाम झारखंड सरकार तथा अन्य दायर हुआ. इसमें रामनरेश कुमार, केदार प्रसाद मेहता, विजय शंकर मेहता, दामोदर प्रसाद मेहता और देवकी प्रसाद मेहता पीआइएल किये हैं.
अभी तक हाईकोर्ट में पीआइएल पर स्टे ऑर्डर भी कार्य को लेकर हुआ. लेकिन राज्य सरकार की ओर से स्टे ऑर्डर हटाने के लिए अपील तक नहीं हुआ है. यह मामला हाईकोर्ट में लंबित है. पांच साल बाद जिला प्रशासन सक्रिय हुआ. हजारीबाग समाहरणालय पत्रांक संख्या 966-13 दिसंबर 2016 के माध्यम से अतुल बनर्जी सरकारी अधिवक्ता झारखंड उच्च न्यायालय रांची के माध्यम से इंटर लोकेट्री एप्लीकेशन दायर किया है. हाई कोर्ट में राज्य सरकार के साथ-साथ जिला प्रशासन भी अपना पक्ष रखेगी.
डीसी रविशंकर शुक्ला से हजारीबाग हवाई अड्डा निर्माण पर सीधी बातचीत
सवाल : हजारीबाग हवाई अड्डा के लिए कितना जमीन की आवश्यकता है?
जवाब : पिछले दिनों नगर विमानन विभाग के अधिकारी हजारीबाग हवाई अड्डा स्थल का निरीक्षण करने के बाद लगभग 300 एकड़ जमीन की आवश्यकता बतायी थी.
सवाल : हजारीबाग हवाई अड्डा के लिए 300 एकड़ जमीन अधिग्रहण के लिए कार्रवाई शुरू हुई है ?
जवाब : राज्य सरकार से जमीन अधिग्रहण अधियाचना का पत्र आते ही कार्रवाई शुरू करेंगे. वैसे जिला प्रशासन अपने स्तर से लगभग 250 एकड़ जमीन अपर समाहर्ता स्तर के अधिकारी से चिह्नित कराया है. जमीन के स्वरूप व क्षेत्रफल का रिकार्ड भी तैयार किया गया है. यह कार्य पूरी तरह से राज्य सरकार से अधियाचना पत्र आने के बाद मूल रूप लेगा.
सवाल : पीआइएल बता कर हजारीबाग हवाई अड्डा की योजना को लंबित बताना सही है ?
जवाब : जमीन अधिग्रहण पर पीआइएल लगभग 33 एकड़ पर हुआ है. शेष जमीन के लिए नये सिरे से जमीन अधिग्रहण होना है.
सवाल : पीआइएल करनेवाले रैयतों से वार्ता व उनकी मांग क्या है ?
जवाब : पीआइएल करनेवाले रैयतों का कहना है कि हवाई अड्डा वहां बनें. लेकिन नये सिरे से हमलोगों के 33 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 के तहत भूमि का मुआवजा और सुविधा दिया जाय. ऐसी जानकारी अंचल अधिकारी ने मुझे दी है.
सवाल : हजारीबाग नगवां हवाई अड्डा निर्माण के लिए सरकार से कोई पत्र मिला है ?
जवाब : अभी राज्य स्तर के अधिकारियों के साथ बैठक हुई है. कोई पत्र वैसे नहीं मिला है.

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